
वाशिंगटन । अमेरिका ने कहा है कि कोविड-19 टीकों के उत्पादन के लिए आवश्यक कच्चे माल के निर्यात में आ रही मुश्किलों का मुख्य कारण वह कानून है, जिसके तहत अमेरिकी कंपनियों के लिए घरेलू खपत को प्राथमिकता देना अहम है। बाइडन और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने युद्धकाल में इस्तेमाल होने वाले ‘रक्षा उत्पादन कानून’ (डीपीए) को लागू कर दिया है जिसके तहत अमेरिकी कंपनियों के पास घरेलू उत्पादन के लिए कोविड-19 टीकों और निजी सुरक्षा उपकरणों (पीपीई) के उत्पादन को प्राथमिकता देने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है, ताकि अमेरिका में इस घातक महामारी से निपटा जा सके। अमेरिका ने कोविड-19 टीकों का उत्पादन बढ़ा दिया है, ताकि वह चार जुलाई तक अपनी पूरी आबादी का टीकाकरण कर सके। ऐसे में इसके कच्चे माल के आपूर्तिकर्ता केवल घरेलू विनिर्माताओं को यह सामग्री उपलब्ध करा सकते हैं।
हाल में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अदार पूनावाला ने कहा था कि टीकों का उत्पादन बढ़ाने के लिए अमेरिका को कच्चे माल के निर्यात पर लगा प्रतिबंध हटाने की आवश्यकता है। एसआईआई इस समय एस्ट्राजेनेका एवं ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा विकसित कोरोना वायरस रोधी टीका ‘कोविशील्ड’ बना रहा है और इसका इस्तेमाल केवल भारत में नहीं किया जा रहा, बल्कि इसे कई देशों में निर्यात भी किया जा रहा है। उन्होंने बाइडन के ट्विटर हैंडल को टैग करते हुए ट्वीट किया था, ‘‘अमेरिका के माननीय राष्ट्रपति, मैं अमेरिका के बाहर के टीका उद्योग की ओर से आपसे विनम्र अनुरोध करता हूं कि अगर वायरस को हराने के लिए हमें सचमुच एकजुट होना है, तो अमेरिका के बाहर कच्चे माल के निर्यात पर लगे प्रतिबंध को हटाया जाए, ताकि टीकों का उत्पादन बढ़ सके। आपके प्रशासन के पास विस्तृत जानकारी है।’’ एसआईआई दुनिया में कोविड-19 टीकों का सबसे बड़ा उत्पादक है।
अमेरिका और भारत में से किसी ने भी यह नहीं बताया है कि भारत अमेरिका से किस कच्चे माल के निर्यात से प्रतिबंध हटाने का अनुरोध कर रहा है। अमेरिका में भारत के राजदूत तरणजीत सिंह संधू ने हालिया सप्ताह में बाइडन प्रशासन के अधिकारियों के समक्ष भी यह मामला उठाया था। इसके अलावा दोनों देशों के अधिकारियों ने भारत एवं अमेरिका में मांग बढ़ने के मद्देनजर अहम सामग्री की आपूर्ति को सहज बनाने पर चर्चा की है।