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 पाकिस्तान ने सऊदी अरब से दान में ‎लिए चावल के 19,032 बोरे - सऊदी अरब ने आर्थिक मोर्चे पर जूझ रहे पाकिस्तान को कई तरह की मदद मुहैया कराने की बात कही 

 पाकिस्तान ने सऊदी अरब से दान में ‎लिए चावल के 19,032 बोरे - सऊदी अरब ने आर्थिक मोर्चे पर जूझ रहे पाकिस्तान को कई तरह की मदद मुहैया कराने की बात कही 

नई दिल्ली । पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान तीन दिन 7 से 9 मई तक सऊदी अरब की यात्रा पर रहे। इस दौरान दोनों देशों के बीच कई समझौतों पर हस्ताक्षर हुए। सऊदी अरब ने आर्थिक मोर्चे पर जूझ रहे पाकिस्तान को कई तरह की मदद मुहैया कराने की बात कही है। इसी क्रम में सऊदी ने पाकिस्तान को चावल के 19,032 बोरे भी दिए हैं, लेकिन सऊदी से मिली इस जकात को लेकर पाकिस्तान में बहस छिड़ गई है और इमरान खान सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े किए जाने लगे हैं। सऊदी अरब की तरफ से जारी बयान के मुताबिक, क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन-सलमान की तरफ से दिए जाने वाली इस जकात से पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वाह और पंजाब के 1,14,192 लोगों को मदद मिलेगी। इस चावल को पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वाह और पंजाब के लोगों में बांटा जाएगा। जारी बयान के मुताबिक सऊदी अरब की ओर से मुहैया कराये गए 440 टन चावल को पंजाब प्रांत के लाहौर, फैसलाबाद, खानेवाल, साहिवाल के अलावा  खैबर पख्तूनख्वाह के अन्य जिलों में वितरित किया जाएगा। 
सऊदी अरब से चावल मिलने का बयान पाकिस्तान की पत्रकार नाइला इनायत ने साझा किया है। बहरहाल, सऊदी अरब की तरफ से चावल की बोरियां मुहैया कराये जाने को लेकर पाकिस्तान में बहस छिड़ गई है। अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत रहे हुसैन हक्कानी ने इस मसले पर बिना नाम लिए इमरान खान की सरकार पर निशाना साधा है। हुसैन हक्कानी ने ट्वीट किया, हाल के दिनों तक चावल के बड़े निर्यातक रहे पाकिस्तान को सऊदी अरब से मदद के तौर पर 19,032 बोरी (440 टन) चावल की जरूरत क्यों पड़ी? सऊदी अरब की उदारता के लिए उसका आभार जताने के साथ-साथ अपने देश की विफलता के लिए आत्ममंथन की भी जरूरत है। अमेरिका में कनेक्टिकट विश्वविद्यालय में पाकिस्तान की रिसर्च स्कॉलर मारवी सिरमद ने हुसैन हक्कानी के ट्वीट पर प्रतिक्रिया दी। मारवी सिरमद ने लिखा, पंजाब के मध्यम स्तर के किसानों के लिए चावल उगाना बहुत आसान नहीं रह गया है। वहां पानी नहीं है, किसानों को कोई सब्सिडी नहीं मिलती है। बिचौलिये सबसे ज्यादा फायदा उठाते हैं। किसानों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया है और अब वे थक चुके हैं।
 

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