
लंदन । पिज्जा किसे पसंद नहीं? घर हो या फिर दफ्तर। कहीं भी पार्टी जमे तो फट से पिज्जा ऑर्डर किया जाता है। लंदन में सामने आए एक मामले में दफ्तर में काम करने वाली रिसेप्शनिस्ट को पिज्जा पार्टी में शामिल न करने पर बॉस को 23 लाख रुपए से ज्यादा का मुआवजा चुकाना पड़ा है। ब्रिटेन में एक कार डीलरशीप के साथ काम करने वाली रिसेप्शनिस्ट को 23 हजार पाउंड यानी करीब 24 लाख रुपये की राशि मुआवजे में मिली है। उसे इतना भारी-भरकम मुआवजा इस लिए मिला है, क्योंकि रिसेप्शनिस्ट को दफ्तर में होने वाली पिज्जा पार्टी में शामिल नहीं किया गया था।
ब्यूनल ने सुनवाई के दौरान यह माना कि रिसेप्शनिस्ट मालगोरजाटा लेविका को उसके बॉसों ने जानबूझकर पार्टी में शामिल नहीं किया था। ट्रिब्यूनल के मुताबिक, लेविका के बॉस उसे स्टाफ लंच में शामिल नहीं करना चाहते थे। कार डीलरशिप कंपनी 'हार्टवेल' के मालिक हर महीने अपने कर्मचारियों को एक इनफॉर्मल लंच के तौर पर कुछ भी ऑर्डर करने को कहते थे। वह पिज्जा, मछली और चिप्स वगैरह ऑर्डर करते थे।
लेविका ने अपने दावे में कहा कि उसे जानबूझकर इस लंच से बाहर रखा गया, क्योंकि उसने स्टाफ के एक सदस्य पर लैंगिक भेदभाव करने का आरोप लगाया था। लेविका ने बताया कि इस शिकायत के बाद ही कंपनी की ओर से हर महीने के आखिरी शुक्रवार को होने वाले लंच से बाहर रखा गया। लेविका ने अपने वेतन, काम के घंटों और अपने बॉस मार्क बेन्सन की ओर से कथित लैंगिक भेदभाव के बारे में ट्राइब्यूनल में मार्च 2018 में शिकायत की थी।
लेविका ने बताया कि सभी कर्मचारियों से पूछा जाता था लेकिन उससे यह तक नहीं पूछा जाता था कि वह खाना ऑर्डर करना चाहती है या नहीं या फिर वह लंच में शामिल होना चाहती है या नहीं। हालांकि, हार्टवेल ने इसपर अपनी दलील में कहा कि लेविका को इसलिए खाने के लिए नहीं पूछा जाता था क्योंकि वह पार्ट टाइम कर्मचारी थी और उसकी ड्यूटी दोपहर 1 बजे ही खत्म हो जाती थी। ट्रिब्यूनल ने इस दलील को खारिज कर दिया करते हुए आर्थिक दंड भुगतने की सजा सुनाई।