
नई दिल्ली । कोरोना टीके की दो खुराकों के बीच के अंतर को बढ़ाने की रणनीति अपनाकर ब्रिटेन ने अब तक 42 हजार बुजुर्गों की जान बचाी है। नेशनल हेल्थ इंग्लैंड (पीएचई) ने शुक्रवार को टीकाकरण से संक्रमण में मिले प्रत्यक्ष लाभ के आंकड़े जारी किए, जिसमें यह बात सामने आई है। ब्रिटेन में कोरोनारोधी टीके की दो खुराकें 12 सप्ताह के अंतराल पर लगायी जा रही हैं, जिससे देश में तेजी से संक्रमण दर घटी है। नेशनल हेल्थ इंग्लैंड के आंकड़ों के मुताबिक, 65 साल से अधिक उम्र के 11,700 लोगों की जान बचाने में टीके की पहली खुराक ने बड़ी भूमिका निभाई। साथ ही, 33 हजार बुजुर्गों के अस्पताल में भर्ती होने का खतरा बच गया।
यानी अगर इन बुजुर्गों ने टीके की एक खुराक न ली होती तो बहुत संभावना थी कि वे संक्रमित होकर अस्पताल में भर्ती होते या संक्रमण के गंभीर होने पर उनकी मौत हो जाती। इन आंकड़ों में स्कॉटलैंड, वेल्स और नॉदर्न आयरलैंड के आंकड़ों को शामिल नहीं किया गया है क्योंकि यहां की स्थानीय सरकारों की टीकाकरण की अपनी नीतियां हैं। ब्रिटेन, दुनिया का पहला ऐसा देश था जिसने टीके की दो खुराकों के बीच के अंतर को एक महीने से बढ़ाकर तीन माह कर दिया था। इस रणनीति को अपनाने से ब्रिटेन में आपूर्ति संकट नहीं गहराया और तेजी से लोगों को पहली खुराक मिलती चली गई। अब तक यहां के दो-तिहाई वयस्कों को टीके की कम से कम एक खुराक मिल चुकी है। हाल में ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन इन दो खुराकों के बीच अंतर रखने के तरीके पर मोहर लगा दी है। इस शोध में पाया गया कि वैक्सीन की दो डोज के बीच 12 सप्ताह का अंतर होने पर पांच अधिक लोगों की जान बचायी जा सकती है। इस अंतर से व्यक्ति में जान के जोखिम का प्रतिशत बहुत कम हो जाता है। यह अध्ययन अमेरिका की मेडिकल क्लीनिक चेन ‘मेयो क्लीनिक्स’ के विशेषज्ञों ने किया। अध्ययन में साफ तौर पर कहा गया है कि अगर टीके की एक खुराक लेने के तीन महीने बाद दूसरी खुराक ली जाए तो इससे मृत्युदर घट सकती है। शोधकर्ता थॉमस सी. किंग्स्ले का कहना है कि इस उपाय अपनाने पर मृत्युदर, संक्रमण और अस्पतालों में भर्ती हो रहे लोगों की संख्या में कमी आएगी। इसके साथ ही दवा कंपनियों को भी वैक्सीन बनाने का समय मिलेगा।