नई दिल्ली । भारत सरकार पिछले साल से एक लगातार 'संपूर्ण सरकार' के अपने दृष्टिकोण के तहत कोविड-19 रोगियों की अस्पतालों में देखभाल के प्रभावी प्रबंधन के लिए राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के प्रयासों को मजबूती प्रदान कर रही है। वर्तमान समय में अस्पतालों के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए, केंद्र सरकार अप्रैल 2020 से राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों/केन्द्रीय अस्पतालों/संस्थानों को वेंटिलेटर के साथ-साथ अन्य आवश्यक चिकित्सा उपकरण प्रदान कर रही है। महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में 'मेक इन इंडिया' के तहत बने वेंटिलेटर बेहतर तरीके से काम नहीं कर रहे। ये रिपोर्ट आधारहीन और गलत हैं। इन रिपोर्टों में मामले की तथ्यपूर्ण और पूरी जानकारी नहीं दी गई है। पिछले साल महामारी की शुरुआत में देशभर के सरकारी अस्पतालों में बहुत सीमित संख्या में वेंटिलेटर उपलब्ध थे। इसके अलावा, देश में वेंटिलेटर का बहुत सीमित निर्माण हो रहा था और विदेशों में अधिकांश आपूर्तिकर्ता भारत को बड़ी मात्रा में वेंटिलेटर की आपूर्ति करने की स्थिति में नहीं थे। ऐसा तब है जब स्थानीय निर्माताओं को देश की विशाल अनुमानित मांग और उन पर दिए गए आदेशों को पूरा करने के लिए "मेक इन इंडिया" वेंटिलेटर का उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित किया गया था। उनमें से कई पहली बार वेंटिलेटर का निर्माण कार्य कर रहे थे। वेंटिलेटर मॉडल एक कठोर परीक्षण की प्रक्रिया से गुजरे, उपलब्ध बेहद सीमित समय में ये तकनीकी प्रदर्शन और नैदानिक सत्यापन प्रक्रिया से भी गुजरे। इस तकनीक के विशेषज्ञों की मंजूरी के बाद ही इन वेंटिलेटर्स को सप्लाई के लिए भेजा गया। कुछ राज्य ऐसे हैं जिन्हें वेंटिलेटर प्राप्त हुए हैं लेकिन अभी तक इन्होंने अपने अस्पतालों में इन्हें स्थापित नहीं किया है। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने 11 अप्रैल 2021 को ऐसे सात राज्यों को पत्र लिखा है, जिनके पास अभी भी पिछले 4-5 महीनों से 50 से अधिक वेंटिलेट बिना इस्तेमाल किए पड़े हैं। उनसे इंस्टालेशन में तेजी लाने का अनुरोध किया गया है ताकि वेंटिलेटर्स को अधिकतम उपयोग में लाया जा सके।
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ऑक्सीजन मास्क की अनुचित फिटिंग के चलते ठीक से काम नहीं कर रहा वेंटिलेटर