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 ऑक्‍सफर्ड-एस्‍ट्राजेनेका लगाने वाले तीन लोगों में दिखे इस्केमिक स्ट्रोक के लक्षण 

 ऑक्‍सफर्ड-एस्‍ट्राजेनेका लगाने वाले तीन लोगों में दिखे इस्केमिक स्ट्रोक के लक्षण 

लंदन । खून का थक्‍का जमने के आरोपों से जूझ रही ऑक्‍सफर्ड-एस्‍ट्राजेनेका की कोरोना वैक्‍सीन अब नए विवाद में फंस गई है। ब्रिटेन में वैक्‍सीन लगवाने के बाद तीन मरीजों को स्‍ट्रोक आया और उन्‍हें अस्‍पताल में भर्ती किया गया। जहां इन मरीजों में से एक व्‍यक्ति की मौत हो गई। डॉक्‍टरों का कहना है कि मरीजों के दिमाग को नुकसान पहुंचाने वाले क्‍लॉट बनने के संकेत मिले हैं।इसी वैक्सीन को भारत में कोविशील्‍ड के नाम से लगाया जा रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक ऑक्‍सफर्ड वैक्‍सीन लगवाने के बाद करीब 30 साल की दो महिलाओं और करीब 40 साल के एक व्‍यक्ति को इस्केमिक स्ट्रोक आया। ऐसा पहली बार है जब इस वैक्‍सीन को लगाने के बाद इस्केमिक स्ट्रोक्स आने के संकेत मिले। इस्केमिक स्ट्रोक्स में जब मुख्‍य धमनियों के अंदर थक्‍का जमता है,तब इससे दिमाग को खून और ऑक्‍सीजन की सप्‍लाई बंद हो जाती है। विशेषज्ञों ने कहा कि वैक्‍सीन से जुड़ी घटनाएं अत्‍यंत दुर्लभ है और इसके होने का खतरा उन लोगों में ज्‍यादा होता है जिन्‍हें कोरोना संक्रमण होता है। इसके बाद भी उन्‍होंने डॉक्‍टरों से अपील की कि वे कोरोना वैक्‍सीन लेने वाले लोगों में 4 से लेकर 28 दिनों के बीच में परंपरागत स्‍ट्रोक के लक्षणों जैसे चेहरे, हाथों और पैरों में कमजोरी पर नजर रखें। विशेषज्ञों ने कहा कि इस तरह के मरीजों को तत्‍काल चिकित्‍सा सहायता मुहैया कराएं।
उन्‍होंने कहा कि व्‍यक्ति की जान बचाने के लिए तत्‍काल इलाज बेहद जरूरी है। इस्केमिक स्ट्रोक्स का शिकार बनी 35 साल की एशियाई महिला को वैक्‍सीन लगवाने के 6 दिन बाद सिर के दाहिने हिस्‍से और आंखों के चारों ओर लगातार भीषण दर्द बना हुआ था। पांच दिन बाद महिला सोकर उठी, तब आलस, चेहरे, हाथ और पैरों में कमजोरी के लक्षण दिखाई दिए। 
 

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