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फिलहाल यह पता लगाना बहुत मुश्किल वैक्सीन लगवा चुके लोग नहीं फैलाएंगे कोरोना का संक्रमण 

फिलहाल यह पता लगाना बहुत मुश्किल वैक्सीन लगवा चुके लोग नहीं फैलाएंगे कोरोना का संक्रमण 

नैशविले । जब अमेरिका के रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र ने 13 मई 2021 को मास्क पहनने के बारे में अपने दिशा निर्देशों में बदलाव किया, तो कई अमेरिकियों मे भ्रम की स्थिति पैदा हो गई थी। टीका लगवा चुका कोई व्यक्ति, किसी स्थान के भीतर या बाहर, बड़े या छोटे कार्यक्रमों में बिना मास्क पहनने या सामाजिक दूरी का पालन किए भाग ले सकता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि संक्रामक रोग के खिलाफ रक्षा करने वाले टीके विषाणु को फैलाने की दर निश्चित रूप से कम करेंगे। लेकिन अभी यह निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता कि टीका लगवा चुका व्यक्ति कोरोना का संक्रमण नहीं फैला रहा है।
राष्ट्रपति जो बाइडन के मुख्य चिकित्सा सलाहकार एंथनी फाउची ने कहा नए दिशा निर्देश विज्ञान के विकास पर आधारित हैं और अमेरिका की तकरीबन दो तिहाई आबादी के लिए एक प्रोत्साहन के तौर पर काम करते हैं, जिन्हें अभी तक टीका नहीं लगा है। पहले से ही बीमार चल रहे कुछ लोगों को टीका नहीं लगाया जा सकता । कैंसर या अन्य बीमारियों के कारण कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोग टीका लगाने से भी पूरी तरह सुरक्षित नहीं हो सकते हैं। 12 से 15 साल की आयु के बच्चे 10 मई 2021 से फाइजर-बायोटेक का टीका लगवा सकते हैं। साथ ही अमेरिका में 12 साल से कम की आयु के करीब पांच करोड़ बच्चों के लिए अभी तक कोविड-19 रोधी किसी भी टीके को स्वीकृति नहीं मिली है। टीका लगवाने से जरूरी नहीं कि हर बार संक्रमण से रक्षा हो। शोधकर्ताओं ने कोविड-19 रोधी सुरक्षित टीके बनाने की उम्मीद जताई जिससे टीका लगवा चुके कम से कम आधे लोगों को कोविड-19 नहीं हो।
अच्छी बात यह है कि टीके उम्मीद से भी बेहतर साबित हुए हैं। उदाहरण के लिए इजराइल के 16 साल और उससे अधिक आयु के 65 लाख निवासियों को लगाया फाइजर-बायोटेक एमआरएनए कोविड-19 रोधी टीका 95.3 प्रतिशत प्रभावी पाया गया। टीका निर्माता अकसर उम्मीद कररते हैं कि बीमारी से बचाने के अलावा उनके टीके ‘रोगाणु रहित प्रतिरक्षा’ हासिल करेंगे। रोगाणुरहित प्रतिरक्षा का मतलब है कि टीका लगवा चुका व्यक्ति कभी विषाणु के संपर्क में नहीं आएगा या न ही इसका आगे प्रसार करेगा।
उदाहरण के लिए पोलियो की दवा पोलियो विषाणु को मनुष्य के शरीर में बढ़ने से पूरी तरह नहीं रोकती, लेकिन यह इस बीमारी की रोकथाम में अत्यधिक प्रभावी है क्योंकि इससे ऐसे एंटीबॉडी बनते हैं जो विषाणु को मस्तिष्क तथा मेरुदण्ड को संक्रमित करने से रोकते हैं। वैज्ञानिक रोग प्रतिरोधक क्षमता के स्थायित्व का भी आकलन कर रहे हैं जो कोविड-19 रोधी टीकों से मिल रही हैं और शरीर में कहां पर ये असर कर रही हैं? प्रतिरक्षा विज्ञानियों को उम्मीद है कि संक्रामक रोग के खिलाफ रक्षा करने वाले टीके विषाणु को फैलाने की दर भी कम करेंगे, लेकिन यह पता लगाना निश्चित तौर पर मुश्किल है कि क्या टीका लगवा चुका व्यक्ति इस विषाणु को नहीं फैला रहा है। 
 

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