
बीजिंग । दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश बनने की इच्छा रखने वाले चीन को सेना संकट का सामना करना पड़ सकता है। हर तकनीक और क्षेत्र में तरक्की करने वाला चीन इसकारण कई मुश्किलों का सामना भी कर रहा है। इसमें सबसे प्रमुख है, वहां के युवाओं की जनन क्षमता तेजी से कम हो रही है और वे व्यस्तता के बीच बच्चे पैदा भी नहीं करना चाहते हैं, इसकारण चीन का सैन्य प्रशासन परेशान है।
सैनिकों की संख्या के लिहाज से दुनिया की सबसे बड़ी सेना में लाखों पद खाली हैं। दरअसल चीन में फर्टिलिटी रेट में गिरावट की वजह से पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के लिए आने वाले सालों में युवाओं की भर्ती मुश्किल होगी। पीएलए हर साल बड़ी संख्या में उन युवाओं को बंदूक थमाती है, जो उसके लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार हों लेकिन जिस तरह से फर्टिलिटी रेट में कमी आई है,वहां उसके लिए चिंता का विषय है। युवाओं की कम होती संख्या के चलते खाली पदों की संख्या साल दर साल बढ़ती जा रही है। चीन की दशक में एक बार होने वाली जनगणना के आंकड़े इसी महीने सामने आए हैं।इससे साफ होता है कि 2020 में चीन में कुल 1.2 करोड़ बच्चे पैदा हुए। यह संख्या 1961 के बाद किसी एक साल में पैदा हुए बच्चों की संख्या में सबसे कम है।
रिपोर्ट के अनुसार चीन ने कई दशकों तक लागू रखने के बाद 2016 में अपनी वन चाइल्ड पॉलिसी को खत्म कर नागरिकों से कहा कि वे दूसरा बच्चा भी पैदा कर सकते हैं। लेकिन तरक्की और व्यवस्तता के दौर से गुजर रहे चीन में इससे कोई लाभ नहीं हुआ। देश की जन्म दर नहीं बढ़ी। जनगणना के आंकड़े बताते हैं कि 2020 में चीन की प्रत्येक औरत ने औसतन 1.3 बच्चे को जन्म दिया जबकि स्थिर जनसंख्या के लिए औरत का 2.1 बच्चों को जन्म देना जरूरी है।
सैन्य विशेषज्ञ एंटनी वॉन्ग टॉन्ग के मुताबिक चीन की सेना ने देश की वन चाइल्ड पॉलिसी पर 1993 से ही चिंता जतानी शुरू कर दी थी। क्योंकि तभी से सेना में रिक्त पदों की संख्या बढ़ने लगी थी और अब वह लाखों में पहुंच चुकी है। चीन की नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर लियू मिंगफू ने 2012 में ही चेताया था कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के 70 फीसद सैनिक एक बच्चे वाले परिवारों से आए हुए हैं।