मॉस्को। रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने भारत को आश्वासन दिया है कि एस-400 एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइल सिस्टम की आपूर्ति को लेकर कोई बदलाव नहीं हुआ है। 2019 में, भारत ने सिस्टम के लिए रूस को लगभग 80 करोड़ अमेरिकी डॉलर के भुगतान की पहली किश्त दी थी। लावरोव का यह बयान रूस की सरकारी हथियार निर्यातक कंपनी रोसोबोरोनएक्सपोर्ट के सीईओ अलेंक्जेंडर मिखेयेव की उस टिप्पणी के बाद आया है जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत इस साल अक्टूबर-दिसंबर में रूस से एस-400 मिसाइल सिस्टम का पहला बैच प्राप्त करेगा। इस डील पर अमेरिका कह चुका है कि रूस के साथ इस डिफेंस डील के लिए अमेरिका की ओर से भारत को किसी तरह की छूट नहीं मिलेगी। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि डील को लेकर अमेरिका भारत पर पाबंदी लगा सकता है।
लावरोव ने कहा, मैं भारत को S-400 सिस्टम की आपूर्ति को लेकर कॉन्ट्रैक्ट के कार्यान्वयन का उल्लेख करना चाहूंगा। हमने इसमें कोई बदलाव नहीं किया है और भारतीय अधिकारियों ने इन समझौतों के पालन की पुष्टि की है। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर की तरफ से आयोजित ब्रिक्स देशों के विदेश मंत्रियों की वर्चुअल मीटिंग के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एक सवाल के जवाब में लावरोव ने यह बात कही। लावरोव ने यह भी कहा, भारत के साथ आर्थिक, राजनीतिक, मानवीय, सैन्य और स्वास्थ्य क्षेत्र सहित सभी मामलों में हम धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे हैं। अक्टूबर 2018 में भारत ने तत्कालीन ट्रंप प्रशासन की चेतावनी के बावजूद एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम की पांच इकाइयों को खरीदने के लिए रूस के साथ 5 अरब डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। भारत-रूस के बीच इस समझौते के चलते काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू संक्सशन्स एक्ट के तहत अमेरिकी पाबंदियों की आशंका बढ़ गई है। ऐसी ही एक डील के लिए अमेरिका तुर्की पर प्रतिबंध लगा चुका है। ट्रंप प्रशासन भारत पर इस डील को रद्द करने के लिए दबाव डाल चुका है। अमेरिका ने तब कहा था कि अगर भारत को उसके साथ कूटनीतिक टकराव रोकना है तो उसे डील को रद्द करना चाहिए। अमेरिका की दलील थी कि 2017 में बने अमेरिकी कानून के अनुसार भारत को रूस से इस मिसाइल को खरीदने की छूट नहीं दी जा सकती है। 2 अगस्त, 2017 अमेरिकी संसद में यह कानून पास किया था जबकि जनवरी 2018 में इसे लागू किया गया। इसका मकसद रक्षा क्षेत्र के सौदों को लेकर पाबंदियों के जरिये ईरान, रूस और उत्तरी कोरिया की आक्रामकता का सामना करना है। यह कानून अमेरिकी राष्ट्रपति को रूसी रक्षा और खुफिया क्षेत्रों (महत्त्वपूर्ण लेनदेन) से जुड़े व्यक्तियों पर अधिनियम में 12 सूचीबद्ध प्रतिबंधों में से कम से कम पांच को लागू करने का अधिकार देता है।
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रूस और भारत ने उठाया ऐसा कदम कि नाराज हो सकता है अमेरिका -भारत-रूस के बीच इस समझौते के चलते अमेरिकी पाबंदियों की आशंका बढ़ी