
सिंगापुर । कोविड-19 के प्रकोप से यात्रा बैन करके सिंगापुर नए संकट में फंसा गया है। भारत और अन्य दक्षिण एशियाई देशों से यात्रियों के आगमन पर प्रतिबंध का सिंगापुर को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। भारत और अन्य एशियाई देशों से आवागमन न होने के चलते सिंगापुर में श्रमिकों की कमी का सामना करना पड़ रहा है, जो उसके आर्थिक मॉडल को प्रभावित कर रहा है।
निक्केई एशिया का कहना है कि सिंगापुर में विदेशी नागरिकों की कुल संख्या में लगभग एक तिहाई संख्या श्रमिकों की है। खास बात यह है कि यहां निर्माण और जहाज निर्माण क्षेत्र विशेष रूप से भारत और बांग्लादेश के कम लागत वाले श्रम पर निर्भर हैं। सिंगापुर ने कोरोना के चलते भारत और अन्य दक्षिण एशियाई देशों से प्रवेश बंद कर दिया जिस कारण विदेशी श्रमिकों का आवागमन प्रभावित हुआ। श्रमिकों संकट के कारण निर्माण परियोजनाओं में एक वर्ष तक की देरी हुई है और श्रम की कीमत में 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और अत्यधिक कार्यभार पर चिंता बढ़ गई है।
कुछ श्रमिकों ने बताया कि उन्हें पिछले साल से कम से कम आधे सप्ताह के लिए डबल शिफ्ट, प्रत्येक शिफ्ट में आठ घंटे काम करने के लिए मजबूर किया गया है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, सिंगापुर के निर्माण स्थलों, शिपयार्ड और कारखानों में प्रवासी श्रमिकों की संख्या 2020 में 16 प्रतिशत गिरकर 311,000 हो गई। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय कामगारों की कुल संख्या में भी 14 प्रतिशत की कमी आई है।