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डेल्टा वेरिएंट का केवल एक ही स्ट्रेन चिंता का सबब -विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा 

डेल्टा वेरिएंट का केवल एक ही स्ट्रेन चिंता का सबब -विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा 

जेनेवा । भारत में सबसे पहले पाए गए कोरोना वायरस के डेल्टा वेरिएंट बी.1.617 का केवल एक स्ट्रेन बी.1.617.2 ही अब ‘चिंता का सबब’ है। यह कहना है विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का।  डब्ल्यूएचओ ने कहा कि डेल्टा वेरिएंट के बाकी के दो स्वरूप में संक्रमण फैलाने की दर बहुत कम है। बी.1.617 स्वरूप सबसे पहले भारत में पाया गया और ये तीन स्वरूप बी.1.617.1, बी.1.617.2 और बी.1.617.3 में विभाजित हैं। कोविड-19 साप्ताहिक महामारी विज्ञान अपडेट में डब्ल्यूएचओ ने कहा कि बी.1.617.1 और बी.1.617.2 स्वरूपों के लिए उपलब्ध आंकड़ों का इस्तेमाल कर इस साल 11 मई को यह पता लगाया गया कि बी.1.617 वैश्विक ‘वैरियंट ऑफ कंसर्न’ (ऐसा स्वरूप जो चिंता का कारण है) (वीओसी) है।
 डब्ल्यूएचओ ने कहा, ‘तब से यह साबित हो गया है कि लोगों की जान को सबसे अधिक खतरा बी.1.617.2 से है जबकि बाकी के स्वरूपों में संक्रमण फैलाने की दर बहुत कम है।’डब्ल्यूएचओ ने सोमवार को कोविड-19 के अहम स्वरूपों को नाम देने के लिए नयी प्रणाली की घोषणा की और ये नाम ग्रीक वर्णमाला (जैसे कि अल्फा, बीटा, गामा आदि) पर आधारित है जिससे ‘इन्हें नाम देना और याद रखना आसान हो गया है।’ अपडेट में कहा गया है कि भारत में पिछले हफ्ते कोविड-19 के 13,64,668 नए मामले आए जो पिछले हफ्तों के मुकाबले 26 प्रतिशत कम हैं। ब्राजील में 420,981, अर्जेंटीना में 219,910, अमेरिका में 153,587 और कोलंबिया में 150,517 नए मामले आए। दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में 15 लाख से अधिक नए मामले सामने आए और 29,000 से अधिक लोगों की मौत हुई जो पिछले हफ्ते के मुकाबले क्रमश: 24 प्रतिशत और आठ प्रतिशत कम हैं। 
इसमें कहा गया है, ‘संक्रमण के मामलों में लगातार तीसरे हफ्ते कमी आयी है और मार्च 2021 की शुरुआत के बाद से मौत के मामले पहली बार कम हुए हैं।’ दक्षिण एशिया क्षेत्र में सबसे अधिक मौत भारत में हुई। इसके बाद इंडोनेशिया और नेपाल में अधिक मौतें हुई।संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी द्वारा जारी अपडेट में कहा गया, ‘बी.1.617.2 अब भी वीओसी है और हम इससे संक्रमण फैलने की बढ़ती दर और इस स्वरूप से कई देशों में बढ़ते संक्रमण के मामलों पर नजर रख रहे हैं। इस स्वरूप के असर पर अध्ययन डब्ल्यूएचओ के लिए उच्च प्राथमिकता है।’ 
 

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