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'एंफोटेरेसिन-बी' का केंद्र सरकार द्वारा किया जा रहा आवंटन अतार्किक - बंबई उच्च न्यायालय

'एंफोटेरेसिन-बी' का केंद्र सरकार द्वारा किया जा रहा आवंटन अतार्किक - बंबई उच्च न्यायालय

मुंबई । बंबई उच्च न्यायालय ने कहा है कि म्यूकरमाइकोसिस (ब्लैक फंगस) के उपचार में काम आने वाली दवा 'एंफोटेरेसिन-बी' का केंद्र सरकार द्वारा किया जा रहा आवंटन अतार्किक प्रतीत होता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र में इस बीमारी के मामलों की संख्या को देखते हुए राज्य को दवा की आपूर्ति पर्याप्त नहीं है।
इस मुद्दे पर विभिन्न जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय की अन्य पीठ ने कहा कि केंद्र को दवा की आपूर्ति बढ़ाने के लिए कदम उठाने चाहिए। कोर्ट को राज्य सरकार ने सूचित किया कि महाराष्ट्र में पिछले तीन दिन में ब्लैक फंगस से 82 लोगों की मौत हुई है।
कोर्ट  ने इसपर महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी को यह पता लगाने को कहा कि क्या संबंधित लोगों की मौत दवा दिए जाने में विलंब की वजह से हुई है। इसने महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया कि वह म्यूकरमाइकोसिस के मामलों और दवा के उपलब्ध भंडार का वास्तविक आंकड़ा रखे तथा यह सूचना केंद्र को उपलब्ध कराए जिससे कि दवाओं की खरीद समय पर की जा सके। कोर्ट ने कहा कि देश में ब्लैक फंगस के कुल 23,254 मामलों में से 25 प्रतिशत मामले महाराष्ट्र में हैं और दावा का आवंटन अपर्याप्त है तथा यह राज्य में बीमारी के उपचाराधीन मामलों के अनुपात के हिसाब से नहीं है।
अदालत ने केंद्र के शपथपत्र का उल्लेख करते हुए कहा कि दमन और दीव में ब्लैक फंगस का कोई उपचाराधीन मामला नहीं है, लेकिन उसे दवा की 500 शीशियां मिलीं। त्रिपुरा में एक उपचाराधीन मामला है, लेकिन उसे एक भी शीशी नहीं मिली। मणिपुर और नगालैंड में एक-एक मामला है और उन्हें दवा की पचास-पचास शीशियां मिलीं।
साथ ही यह भी कहा कि यह आवंटन तार्किक प्रतीत नहीं होता। क्या दवाएं असल में वहां पहुंच रही हैं जहां इनकी जरूरत है? वितरण का मानदंड क्या है? अदालत ने कहा कि महाराष्ट्र को आवंटित मात्रा (एंफोटेरेसिन-बी की) काफी कम है। आवंटन गतिशील तथा पूरे भारत में आवश्यकता के आधार पर होना चाहिए। किसी भी मरीज को दवा की कमी का सामना न करना पड़े।
 

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