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  संक्रमित व्यक्ति के दिमाग पर भी असर डाल रहा है कोरोना 

  संक्रमित व्यक्ति के दिमाग पर भी असर डाल रहा है कोरोना 


नई दिल्ली । कोरोना को लेकर न्यूरोलॉजिस्ट ने चेताया है कि कोविड-19 मात्र श्वसन तंत्र का ही संक्रमण नहीं है, बल्कि यह संक्रमित व्यक्ति के दिमाग पर भी असर डाल रहा है। 
अमेरिका की जॉर्जिया यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए अध्ययन में पाया गया है कि गंभीर कोरोना रोगियों, जिन्हें बुखार या अन्य कारणों से ऑक्सीजन थेरेपी की जरूरत पड़ती है, उनके मस्तिष्क के अग्रिम हिस्से जिसे ललाट कहते हैं, में ग्रे मैटर में कमी पाई गई है। ग्रे मैटर को बुद्धि या दिमाग कहा जा सकता है। छोटे से समूह पर किया गया यह अध्ययन 'न्यूरोबॉयोलॉजी आफ स्ट्रेस' जर्नल में प्रकाशित किया गया है। 
ग्रे मैटर या दिमाग या बुद्धि का मुख्य काम मस्तिष्क को मिलने वाली सूचनाओं को विश्लेषण या प्रोसेसिंग करती है। इसी के जरिए इंसान अपनी गतिविधियों, याददाश्त व भावनाओं को नियंत्रित करता है। इसमें गड़बड़ी होने पर संबंधित व्यक्ति के दिमाग के कामकाज पर असर पड़ सकता है। 
जर्नल में प्रकाशित अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार जो लोग कोविड-19 के गंभीर शिकार होते हैं और लंबे समय तक अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान जिन्हें आक्सीजन या वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है, उनमें मस्तिष्क के रोग होने का खतरा ज्यादा रहता है। न्यूरान व संप्रेषण तंत्र गड़बड़ा सकता है। जो लोग पहले से मस्तिष्क रोगों, हाई बीपी या मोटापे से ग्रस्त होते हैं, उन्हें यह खतरा ज्यादा होता है। 
  संक्रमित व्यक्ति के दिमाग पर भी असर डाल रहा है कोरोना 
नई दिल्ली । कोरोना को लेकर न्यूरोलॉजिस्ट ने चेताया है कि कोविड-19 मात्र श्वसन तंत्र का ही संक्रमण नहीं है, बल्कि यह संक्रमित व्यक्ति के दिमाग पर भी असर डाल रहा है। 
अमेरिका की जॉर्जिया यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए अध्ययन में पाया गया है कि गंभीर कोरोना रोगियों, जिन्हें बुखार या अन्य कारणों से ऑक्सीजन थेरेपी की जरूरत पड़ती है, उनके मस्तिष्क के अग्रिम हिस्से जिसे ललाट कहते हैं, में ग्रे मैटर में कमी पाई गई है। ग्रे मैटर को बुद्धि या दिमाग कहा जा सकता है। छोटे से समूह पर किया गया यह अध्ययन 'न्यूरोबॉयोलॉजी आफ स्ट्रेस' जर्नल में प्रकाशित किया गया है। 
ग्रे मैटर या दिमाग या बुद्धि का मुख्य काम मस्तिष्क को मिलने वाली सूचनाओं को विश्लेषण या प्रोसेसिंग करती है। इसी के जरिए इंसान अपनी गतिविधियों, याददाश्त व भावनाओं को नियंत्रित करता है। इसमें गड़बड़ी होने पर संबंधित व्यक्ति के दिमाग के कामकाज पर असर पड़ सकता है। 
जर्नल में प्रकाशित अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार जो लोग कोविड-19 के गंभीर शिकार होते हैं और लंबे समय तक अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान जिन्हें आक्सीजन या वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है, उनमें मस्तिष्क के रोग होने का खतरा ज्यादा रहता है। न्यूरान व संप्रेषण तंत्र गड़बड़ा सकता है। जो लोग पहले से मस्तिष्क रोगों, हाई बीपी या मोटापे से ग्रस्त होते हैं, उन्हें यह खतरा ज्यादा होता है। 
 

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