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 मुस्लिम महिला उम्मीदवार के हिजाब पहनने पर बवाल -फ्रांसीसी चुनाव में इमैनुएल मैक्रों की पार्टी ने टिकट काटा

 मुस्लिम महिला उम्मीदवार के हिजाब पहनने पर बवाल -फ्रांसीसी चुनाव में इमैनुएल मैक्रों की पार्टी ने टिकट काटा

पेरिस। फ्रांस में हो रहे स्थानीय निकाय  के चुनावों में एक महिला उम्मीदवार के हिजाब में प्रचार करने पर बवाल के बाद फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों मुस्लिम महिला उम्मीदवार सारा जेमाही का टिकट काट दिया है। सारा जेमाही अब निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रही हैं। सारा के अलावा तीन अन्य उम्मीदवारों के साथ भी ऐसा ही हुआ है। 
सारा अब हिजाब पहनकर चुनाव प्रचार कर रही हैं। उन्होंने फ्रांस के मोंटपेलियर जिले के ला मोसन में प्रचार करते हुए कहा कि मैं हार नहीं मान रही हूं और अब भी हिजाब पहने हुए हूं। फ्रांस के अधिकतर हिस्सों में हिजाब को कट्टरपंथ की निशानी माना जाता है।
  फ्रांस का मोंटपेलियर जिले की प्रति व्यक्ति आय बाकी हिस्सों की अपेक्षा बहुत कम है। यहां फ्रांस के अफ्रीका में स्थित उपनिवेश वाले देशों से आए मुस्लिम शरणार्थियों की पीढ़ियां रहती है। फ्रांस में इस्लाम की भूमिका पर जारी राष्ट्रव्यापी बहस के बीच जेमाही ने कहा कि वह समान अवसरों को बढ़ावा देने और भेदभाव से लड़ने पर ध्यान केंद्रित करना चाहती हैं। उन्होंने कहा कि यह मेरा देश है। मैं यहां पैदा हुई थी। हमारे लिए हिजाब कोई मुद्दा नहीं था। सारा जेमाही के प्रचार अभियान की हिजाब वाली तस्वीरों ने राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की लारेम पार्टी में बगावत शुरू कर दी। पार्टी के कई शीर्ष नेताओं ने इसे धार्मिक कट्टरपंथ बताया था, वहीं कई ऐसे भी थे जो सारा का समर्थन कर रहे थे। कैथोलिक ईसाइयों के बाद दूसरे सबसे धर्म के रूप में इस्लाम के उभरने के बाद फ्रांस में धर्मनिरपेक्ष कानून लागू करने की बात की जा रही है। दरअसल, अगले साल यानी 2022 में फ्रांस में राष्ट्रपति चुनाव होने वाला है। इसमें इमैनुएल मैक्रों के सामने घोर दक्षिणपंथी नेता मरीन ले पेन चुनौती पेश कर रही हैं। अपने अतिराष्ट्रवाद की विचारधारा और हाल में ही हुए कई आतंकी हमलों का मुस्लिम कनेक्शन आने के बाद मरीन को बढ़त प्राप्त है। फ्रांस के ग्रामीण इलाकों में राष्ट्रपति मैक्रों की स्थिति काफी कमजोर मानी जा रही है। यही कारण है कि मैक्रों भी खुद को धार्मिक कट्टरपंथ से निपटने वाला बताने का प्रयास कर रहे हैं।
 

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