
वॉशिंगटन । विश्व की सबसे बड़ी महाशक्ति अमेरिका इन दिनों छठवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान को बनाने की तैयारी में जुटा है। अमेरिकी वायु सेना ने नेक्स्ट जेनरेशन एयर डोमिनेंस (एनजीएडी) सिस्टम के सेंटर पीस को लेकर बड़ा खुलासा किया है। यह लड़ाकू विमान एक बार में उड़ान भरने के बाद दुनिया के किसी भी हिस्से में मार करने में सक्षम होगा।
इतना ही नहीं, इसकी मार से जमीन तो क्या हवा में भी दुश्मन बच नहीं सकेंगे। अमेरिका वायु सेना के चीफ ऑफ स्टाफ जनरल चार्ल्स क्यू ब्राउन जूनियर ने वित्त वर्ष 2022 के बजट अनुरोध पर गवाही देते हुए कहा कि इस लड़ाकू विमान की प्रमुख भूमिका हवाई प्रभुत्व (एयर डोमिनेंस) स्थापित करने की होगी। हालांकि, यह जमीन पर भी अपने लक्ष्यों को बर्बाद करने में उतना ही घातक होगा। ऐसे में इसके मल्टीरोल लड़ाकू विमान होने की उम्मीद है।
छठवीं पीढ़ी का मल्टीरोल लड़ाकू विमान अमेरिकी वायु सेना के लॉकहीड मार्टिन एफ-22 रैप्टर विमानों की जगह लेगा। इस विमान ने आज से 16 साल पहले 15 दिसंबर 2005 को अमेरिकी वायुसेना में शामिल किया गया था। अबतक इसके 195 यूनिट्स को बनाया गया है, जिनमें से 8 विमान टेस्टिंग के लिए रखे गए हैं। बाकी के 187 एफ-22 रैप्टर अमेरिका वायु सेना में ऑपरेशनल हैं।
यह विमान इतनी खतरनाक तकनीकी से लैस है कि इसे अमेरिका ने किसी भी दूसरे देश को नहीं बेचा है। यूएस एयरफोर्स चीफ ने यह भी कहा एनजीएडी लड़ाकू विमान के पास एफ-22 की तुलना में रेंज अधिक होगी। इतना ही नहीं, यह विमान ज्यादा वजन के हथियार लेकर उड़ान भर सकेगा। उन्होंने दावा किया कि यह विमान भारत-प्रशांत क्षेत्र में आवश्यक बड़ी दूरी के मिशनों को संचालित करने में सहायक होगा।
इस क्षेत्र में अमेरिका का चीन और रूस के साथ तनाव है। ऐसे में एनजीएडी लड़ाकू विमान अमेरिकी एयरबेस से उड़ान भरकर लंबी दूरी तक गश्त कर सकेगा। हाल में ही अमेरिकी वायु सेना के द्विवार्षिकी रिपोर्ट में एफ -22 की तुलना में एक बड़ा मिश्रित विंग एयरफ्रेम का सुझाव दिया गया था। इसमें विमान के अंदर हथियारों को रखने की ज्यादा जगह और अतिरिक्त मात्रा में जेट फ्यूल रखने की टंकियां लगी होंगी। एयर फोर्स मैगजीन ने अमेरिकी वायु सेना के एयर कॉम्बैट कमांड के प्रमुख जनरल मार्क डी केली के हवाले से कहा है कि एनजीएडी लड़ाकू विमान भी दो तरह के हो सकते हैं। छठवीं पीढ़ी के इस लड़ाकू विमान का एक वर्जन इंडो पैसिफिक क्षेत्र में लंबी दूरी की मिशनों को अंजाम देने के लिए बनाया जाएगा। इसके पास ज्यादा मात्रा में हथियार लेकर उड़ान भरने की क्षमता होगी।
यूरोप में संभावित युद्ध से निपटने के लिए अपेक्षाकृत कम रेंज के लड़ाकू विमान भी बनाए जाएंगे। पिछले सितंबर में यह पता चला था कि इस लड़ाकू विमान के एक प्रोटोटाइप को एक वर्ष के अंतराल में डिजाइन, विकसित और परीक्षण किया गया था। अमेरिका के बाद सैन्य मामलों में शिखर पर काबिज रूस, चीन और फ्रांस भी अभी पांचवी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों में ही उलझे हुए हैं। भारत समेत कई देश तो ऐसे हैं, जिनके पास पांचवी पीढ़ी के लड़ाकू विमान हैं ही नहीं। चीन दावा करता है कि उसका जे-20 लड़ाकू विमान पांचवी पीढ़ी का है, लेकिन विशेषज्ञों को इसपर संदेह है। वहीं रूस सुखोई एसयू-35 और एसयू-57 को पांचवी पीढ़ी का विमान बताता है।