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पहले दिन सुबह साढ़े पांच बजे तक चली प्रियंका की बैठक, कार्यकर्ताओं की लगाई क्लास

पहले दिन सुबह साढ़े पांच बजे तक चली प्रियंका की बैठक, कार्यकर्ताओं की लगाई क्लास

लखनऊ में पहले दिन कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ प्रियंका की बैठक सुबह साढ़े पांच बजे तक चली। इस दौरान न लंच किया और न डिनर। बैठक में प्रियंका ने पूर्वी उत्तर प्रदेश की संसदीय सीटों के कार्यकर्ताओं के साथ लोकसभा तैयारियों की समीक्षा की। बैठक में विभिन्न लोकसभा क्षेत्रों के पदाधिकारी और वरिष्ठ नेता शामिल हुए। इस दौरान प्रियंका ने कार्यकर्ताओं से कई सवाल भी किए और जवाब न मिलने पर फटकार भी लगाई। प्रियंका ने बैठक मंगलवार दोपहर 2 बजे जो बुधवार सुबह साढ़े पांच बजे तक यानी लगभग 16 घंटे तक चली। कांग्रेस के नेता ऐसा दावा कर रहे हैं कि प्रियंका ने बिना लंच-डिनर किए ही बैठक जारी रखी। प्रियंका गांधी ने प्रयागराज के कार्यकर्ताओं के साथ मुलाकात के बाद बैठक खत्म की। फिलहाल वह कांग्रेस के प्रदेश कार्यालय से निकल चुकी हैं। इसके बाद सुबह 11 बजे दोबारा से बैठक शुरू करेंगी। वहीं ज्योतिरादित्य की पश्चिमी यूपी के कार्यकर्ताओं के साथ बैठक रात डेढ़ बजे तक चली। इसके बाद वह प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर के साथ वहां से निकल गए। कांग्रेस एमएलसी दीपक सिंह ने प्रियंका की बैठक वाली तस्वीर ट्वीट करते हुए लिखा, 'दिन न रात प्रियंका गांधी जी कार्यकर्ताओं के साथ। हमें गर्व है ऐसे नेता पर जिसने समय, नींद, भोजन की परवाह किए बिना रात के एक बजे के बाद भी कार्यकर्ताओं और नेताओं के साथ संवाद करने का सिलसिला जारी रखा है। आपके हौसले को सलाम।' 
उन्होंने अगले ट्वीट में लिखा, 'हम कांग्रेस जन सोच रहे थे प्रियंका गांधी जी 4 बजे तक कार्यकर्ताओं और नेताओं से संवाद करेंगी, लेकिन शायद इसी का नाम प्रियंका गांधी है, जो उम्मीद से ज्यादा सुबह के 5:30 तक लोगों से मिलती रहीं, किसी में नहीं ऐसा हौसला। हमें यकीन है यूपी अब बेहाली से निकल खुशहाली की तरफ बढ़ेगा।' प्रियंका ने उन्नाव लोकसभा की बैठक से शुरुआत की। 2009 के लोकसभा चुनाव में यह सीट कांग्रेस के पास थी। इस सीट से सांसद अन्नू टंडन थीं। बैठक के दौरान प्रियंका ने चुनाव की तैयारियों में ढीले रवैए पर कार्यकर्ताओं को फटकार भी लगाई। प्रियंका ने एक पदाधिकारी से पूछा, आपकी बूथ संख्या क्या है? इस पर वह बगलें झांकने लगे। काफी देर तक सोचने के बाद उन्होंने जवाब दिया 'जी, याद नहीं है।' जैसे ही जवाब आया, प्रियंका ने अगला सवाल किया- पिछला कार्यक्रम क्या किया था‌? कार्यक्रम का नाम बताया गया तो उन्होंने उसका विवरण मांगा। विवरण देखते ही उन्होंने कहा कि यह तो एक साल पहले का कार्यक्रम था। इसके बाद क्या किया? पदाधिकारी का जवाब आया-दिल्ली से ही इतने कार्यक्रम आते हैं, वही करते रहते हैं। प्रियंका ने उनसे दो टूक कहा, तो क्या आपकी कोई जिम्मेदारी नहीं है? क्या आप खुद से कोई कार्यक्रम नहीं करेंगे? 
बातचीत का यह सिलसिला, ऐसे ही एक-एक लोकसभा क्षेत्रों से आए पदाधिकारियों और वरिष्ठ नेताओं से हुआ। प्रियंका ने बैठक में पहुंचे एक-एक व्यक्ति की पूरी बात सुनी और उनसे संगठन और चुनाव को लेकर मशविरा किया। मोहनलालगंज लोकसभा क्षेत्र की बैठक में प्रियंका ने वहां से आए प्रतिनिधियों से पूछा कि इस सीट से चुनाव कौन लड़ना चाहता है? इसपर आधे से ज्यादा लोगों ने हाथ ऊपर किए। यह देखने के बाद प्रियंका ने कहा, जिस प्रत्याशी का नाम तय किया जाएगा, आप सभी लोग उसे मिलकर लड़ाएंगे। सभी ने हामी भरी। लोगों ने प्रियंका से  कहा कि इस सीट पर प्रत्याशी चयन में यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि प्रत्याशी स्थानीय होना चाहिए। 
लखनऊ के पदाधिकारियों से प्रियंका गांधी की जब मुलाकात हुई तो उन्होंने पूछा कि लखनऊ में लीडरशिप क्यों नहीं तैयार हुई? इसपर लोगों ने उन्हें बताया कि यहां बाहर के लोगों को लाकर चुनाव लड़ाया जाता है। वे चुनाव लड़ते हैं, फिर चले जाते हैं। इससे स्थानीय स्तर के कार्यकर्ताओं में निराशा पैदा हो गई है। यही वजह है कि स्थानीय स्तर पर वैसी लीडरशिप नहीं उबर सकी, जैसी होनी चाहिए थी। 

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