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 बारिश में बीमारियां, जानिए कैसे बचें----

 बारिश में बीमारियां, जानिए कैसे बचें----

हमारे देश में बरसात पर फसलें ,जल स्त्रोत आदि निर्भर हैं .बरसात में अनेक बीमारियां का होना लाज़िमी हैं यदि हम उनमे बचाव कर सके तो लाभ प्रद होता हैं .आचार्य चरक ने स्पष्ट कहा हैं ---
आदानदुर्बले देहे पक्ता भवति दुर्बलाः .
स वर्षास्वानीलादीनाम  दूषणै बारद्यते पुनः ( चरक संहिता ३३/६ अध्याय  )
भूवाषपानमेघनिसिण्डावत पाकादमलाजलस्य  च .
वर्षस्वाग्निबले क्षीणे कुप्यन्ति पावनादयः .
तस्मात साधारणः सर्वो विधिवर्षारसु शस्यते .
वर्षाकाल में आदानकाल में मनुष्यों का शरीर अत्यंत दुर्बल रहता हैं .दुर्बल शरीर में तो एक तो जठराग्नि दुर्बल रहती ही  हैं,वर्षाऋतु आ जाने पर दूषित वातादि दोषों से दुष्ट जठराग्नि और भी दुर्बल हो जाती हैं .इस ऋतू में भूमि से वाष्प (भाप ) निकलने ,आकाश से जल बरसने तथा जल का अम्ल विपाक    
होने के कारण  जब अग्नि का बल अत्यंत क्षीण हो जाता हैं तब वातादि दोष कुपित हो जाते हैं .
वर्षाऋतु में  उदमंथ (जल  में घुला सत्तू )दिन में सोना ,ओस गिरते समय उसमे बैठना या घूमना ,नदी का जल ,व्यायाम ,धुप में बैठना और मैथुन छोड़  देना चाहिए .
वर्षाऋतु में खाने पीने की सभी साम्रगी में बनाते समय उसमे मिठास अवश्य मिला लेना चाहिए .वात और वर्षा से भरे उन विशेष शीतवाले दिनों में अम्ल तथा लवण रस वाले और स्नेह द्रव्यों (घृतादि )की प्रधानता भोजन में रहनी चाहिए .जठराग्नि की रक्षा चाहने वाले पुरुषों को भोजन में पुराने जौ,गेंहू चावल का प्रयोग करना चाहिए .वर्षा ऋतू में आकाश का जल ,गरम करके शीतल किया हुआ जल कूप का या सरोवर का जल पीना चाहिए ,देह का घर्षण ,उबटन ,स्नान चन्दन आदि सुंगधित द्रव्यों का प्रयोग और सुगन्धित पुष्प मालाओं का धारण करना हितकर हैं .हलके और पवित्र वस्त्र धारण करना और कलेदरहित सूखे स्थान पर रहना चाहिए ,
बरसात के मौसम में कई सारी बीमारियों का खतरा बहुत अधिक होता है। बारीक कीड़े- मकोड़े के काटने से,गंदा पानी,आसपास काई जमना, पानी एकत्रितहोना जैसी विभिन्न समस्या
होती है। इस वजह से त्‍वचा संबंधित बीमारियों का खतरा बहुत अधिक होता है। चेहरे के बाद हाथ-पैर पर त्वचा रोग बीमारी का खतरा अधिक होता है। बारिश में बीमारी से बचें और अपनी त्वचा का ख्याल रखें।
बैक्‍टीरियल संक्रमण - बारिश के मौसम में गंदे पानी, ह्यूमिडिटी की वजह से त्वचा रोग का खतरा बढ़ जाता है। इस वजह से चेहरे पर दाने निकलने लगते हैं, खुजली होती है इस दौरान नाखून से खून निकलने के बाद अगर आसपास खून टच हो जाता है तो वहां भी इंफेक्‍शन होने लगता है। बारीक-बारीक दाने शरीर के उन हिस्सों पर होते हैं जो खुले रहते हैं। चेहरे परसबसे पहले होते हैं। इसलिए बारिश में त्वचा पर या शरीर पर नमी नहीं होने दें।
एक्जिमा - इसे मेडिकल टर्म में पॉम्‍फओलिक्‍स कहते हैं। बारिश के मौसम में यह बीमारी आम बात है। एक्जिमा बीमारी से हाथों, पैरों, हथेलियों में छोटे-छोटे बारीक दाने होने लगते हैं।जिस वजह से शरीर के पोर्स बंद होने लगते हैं। इसलिए बारिश के मौसम में अपनी त्वचा का ख्याल जरूर रखें।
फंगल इंफेक्‍शन - बारिश में फंगल इंफेक्शन से बचकर रहना चाहिए। खासकर डायबिटीज वाले मरीजों को। फंगल इंफेक्शन के कारण दाद की समस्या होने लगती है। गोल-गोल आकार में रिंग की तरह शरीर पर नमी की वजह से होने लगते हैं। दाद होने पर सामान्य से भी अधिक खुजली होती है। इसकी मुख्य वजह है नमी। बारिश के दिनों में सबसे अधिक होती है।
आमाशय और पाचन सम्बन्धी रोगों का होना भी आम  बात हैं .जैसे दस्त लगाना ,हैज़ा होना ,पीलिया होना ,मोतीझिरा का होना भी होता हैं .
बीमारी से बचने के उपाय
1.बारिश के मौसम में संक्रमण से बचाव के लिए पूरी आस्तीन के कपड़े पहने। बैक्टीरिया शरीर के खुले हिस्से पर होने का खतरा अधिक होता है।
2. अपने चेहरे और हाथ-पैर को साफ पानी से धोते रहे। इससे त्वचा में नमी नहीं बनेगी। साथ ही संक्रमण से बचाव में मदद मिलेगी।
3.बारिश के मौसम में पानी की प्यास बहुत कम लगती है लेकिन फिर भी पानी पीते रहे। अधिक पानी पीने से शरीर की गंदगी यूरिन के साथ निकल जाती है। इस वजह से पानीबहुत अधिक देर तक शरीर पर नहीं जमता है।
पाचन जन्य रोगों में पांच ऍफ़ --यानी  मख्खी (फ़्लाइस)  ,अंगुली (फिंगर) ,जल (फ्लूइड) मल (फीसेस) और आहार (फ़ूड)से बचाव जरुरी हैं
विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन भोपाल 

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