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भारत कभी भी अपने दृष्टिकोण में विस्तारवादी नहीं रहा: नायडू 

भारत कभी भी अपने दृष्टिकोण में विस्तारवादी नहीं रहा: नायडू 

नई दिल्ली । उपराष्ट्रपति एम.वेंकैया नायडू ने भारत को रक्षा प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्वदेशी रूप से विकसित अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों का विकास करने तथा आधुनिक सैन्य हार्डवेयर के एक निर्यात हब के रूप में उभरने की आवश्यकता पर जोर दिया। बेंगलुरू के एचएएल परिसर में हिंदुस्तान एयरोनॉटिकल लिमिटेड तथा एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी के वैज्ञानिकों तथा इंजीनियरों को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि स्वदेशी उत्पाद आगे आने वाले वर्षों में एक एयरोस्पेस तथा रक्षा महाशक्ति के रूप में भारत को तेजी से विकसित करने में प्रमुख भूमिका निभाएंगे। अत्याधुनिक मिसाइलों, उपग्रहों तथा अंतरिक्ष वाहनों के निर्माण में भारत की क्षमता का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, “ विरोधाभास यह है कि हम अभी भी विश्व के सबसे बड़े शस्त्र आयातकों में से एक हैं।” उन्होंने महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों के स्वदेशी विकास में तेजी लाने के जरिए इस स्थिति में बदलाव लाने की अपील की। अत्यधिक जटिल भौगोलिक वातावरण के कारण देश के सामने प्रस्तुत विविध सुरक्षा चुनौतियों पर ध्यान आकृष्ट करते हुए, उपराष्ट्रपति ने सुरक्षाबलों की उनके असाधारण साहस तथा पेशेवर रवैये की सराहना की। उन्होंने कहा, “यह सुनिश्चित करना हमारा कर्तव्य है कि किसी भी चुनौती का सामना करने तथा किसी भी सुरक्षा खतरे से मजबूती से निपटने के लिए हमारे सशस्त्र बल पूरी तरह सुसज्जित हों। 
उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत अपने सभी पड़ोसी देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध चाहता है लेकिन कुछ देश भारत के विरुद्ध आतंकवाद का पोषण और समर्थन कर रहे हैं तथा कुछ देश विस्तारवादी प्रवृत्तियों से जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा, ”देश की शांति और समृद्धि के लिए हमारी सीमाओं की सुरक्षा और हिफाजत बहुत महत्वपूर्ण है।” इस पर जोर देते हुए कि भारत कभी भी अपने दृष्टिकोण में विस्तारवादी नहीं रहा है, नायडू ने कहा कि हमारा दृष्टिकोण शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और आतंक तथा व्यवधान की ताकतों को रोकने का है। उन्होंने कहा कि “भारत अपने लोगों की प्रगति और विकास के लिए मजबूत बनना चाहता है। नायडू ने सार्थक परिणामों के लिए रक्षा परियोजनाओं में निजी साझीदारों को जोड़ने की आवश्यकता रेखांकित की। उन्होंने कहा, “हमें प्रतिस्पर्धी का उत्पादों का निर्माण करने के लिए, जो दुनिया के सर्वश्रेष्ठ उत्पादों के समान हों, कार्यनीतिक साझीदारियों, प्रौद्योगिकी साझा करने तथा टीमवर्क पर निर्भर होना होगा। उन्होंने कहा कि रक्षा क्षेत्र के लिए एफडीआई सीमा में बढ़ोत्तरी, उत्तर प्रदेश तथा तमिलनाडु में दो रक्षा गलियारों की स्थापना का निर्णय तथा रक्षा मंत्रालय द्वारा दो सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची की अधिसूचना, भारतीय रक्षा उद्योग के लिए बड़ा अवसर प्रस्तुत करते हैं।  
 

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