नई दिल्ली । केंद्रीय संस्कृति, पर्यटन तथा पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री जी. किशन रेड्डी ने कहा, "जिला एसडीजी इंडेक्स और डैशबोर्ड तैयार करना प्रधानमंत्री के सहकारी और प्रतिस्पर्धी संघवाद मंत्र के एक मंच पर आने का एक अच्छा उदाहरण है। जी. किशन रेड्डी ने कहा कि सभी 8 राज्य, नीति आयोग और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय एक साझा एजेंडा पर काम करने के लिए एक साथ आगे आए हैं। रिलीज़ करने के अवसर पर नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार, माननीय सहकारिता एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्यमंत्री बी. एल. वर्मा, नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत और सुश्री नादिया रशीद, रेजिडेंट रिप्रेजेंटेटिव (आई/सी), यूएनडीपी इंडिया एवं राज्यों के मुख्य सचिवों समेत अन्य वरिष्ठ सरकारी अधिकारी वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के माध्यम से शामिल हुए।
मंत्री ने यह भी देखा कि डेटा की उपलब्धता डेटा-आधारित निर्णय प्रक्रिया की अनुमति देती है, जो जिलों के बीच प्रतिस्पर्धा की भावना को बढ़ावा दे सकती है और उन्हें अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाने की दिशा में काम कर सकती है। जी.किशन रेड्डी ने कहा, “मेरा मानना है कि इस सूचकांक का उपयोग पूर्वोत्तर राज्यों और मेरे मंत्रालय द्वारा सभी क्षेत्रों में दखल हेतु एक नीतिगत उपकरण के रूप में किया जाना चाहिए। इससे हमें व्यक्तिगत लक्ष्य में प्रत्येक जिले के स्कोर का सुधार करने में मदद मिलेगी ताकि समग्र स्कोर में सुधार हो। सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) 16 मापदंडों में प्रगति को ट्रैक करते हैं जिसमें गरीबी, जीरो हंगर, अच्छा स्वास्थ्य, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, लैंगिक समानता, साफ पानी और स्वच्छता, सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा, अच्छा काम और आर्थिक विकास, उद्योग, नवाचार और बुनियादी ढाँचा, असमानताओं को कम करना, संधारणीय शहर और समुदाय, जलवायु कार्रवाई, जीवन, शांति न्याय और मजबूत संस्थान और जिम्मेदार खपत व उत्पादन जैसे पैरामीटर शामिल हैं। इससे पहले पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय ने इंडेक्स जारी करने के बारे में ट्वीट किया था। "@MDoNER_India और @NITIAayog ने एनईआर जिला सतत विकास लक्ष्य सूचकांक रिपोर्ट और डैशबोर्ड 2021-22 का पहला संस्करण लॉन्च किया।"
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पूर्वोत्तर राज्यों में अलग क्षेत्रों में दखल के एक नीतिगत उपकरण के रूप में किया जाना चाहिए: मंत्री जी किशन रेड्डी