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राज्यसभा के काम में आई कमी चिंता का विषय, सदस्य कामकाज बढ़ाएं: वेंकैया नायडू

राज्यसभा के काम में आई कमी चिंता का विषय, सदस्य कामकाज बढ़ाएं: वेंकैया नायडू

बजट सत्र के दौरान राज्यसभा के सभापति एम.वेंकैया नायडू ने अधिकांश समय हंगामे की भेंट चढ़ने पर क्षोभ प्रकट करते हुये सदस्यों से कामकाज बढ़ाने की अपील की है। नायडू ने बुधवार को बजट सत्र के अंतिम दिन अपने पारंपरिक संबोधन में पिछले पांच साल के दौरान उच्च सदन में हुये कामकाज का तुलनात्मक ब्योरा देते हुये कहा, ‘‘एक और सत्र समाप्त होने जा रहा है। हमें विचार करना चाहिये कि इसमें हमने क्या खोया और क्या पाया। बेहद भारी मन से मुझे कहना पड़ रहा है कि राज्यसभा का यह संक्षिप्त किंतु अत्यंत महत्वपूर्ण बजट सत्र गंवाया जा चुका एक और अवसर बन गया है। नायडू ने कहा कि जून २०१४ से आज तक राज्यसभा के १८ सत्र और ३२९ बैठकें हुयी। इनमें १४९ विधेयक पारित किये गये है। उन्होंने कहा कि २००९ से २०१४ तक उच्च सदन से १८८ विधेयक पारित किये गये थे। सभापति ने इन आंकड़ों के हवाले से कहा कि २००९ से २०१४ की तुलना में जून २०१४ से आज तक पारित किये गये विधेयकों की संख्या में कमी आयी है। उन्होंने विधायी कार्य के तुलनात्मक विश्लेषण के आधार पर सदस्यों से कामकाज को बढ़ाने की अपील की। उन्होने कहा कि इस सत्र में भी कामकाज नहीं होने की पिछले कुछ वर्षों से लगातार दिख रही प्रवृत्ति फिर देखी गयी। 
    उल्लेखनीय है कि यह पहला अवसर है जबकि सभापति ने उच्च सदन के पांच साल के कामकाज का ब्योरा देते हुये इसकी तुलनात्मक विवेचना की हो। उन्होंने दलील दी कि आसन्न आम चुनाव से पहले यह अंतिम सत्र था। हमें यह जानने की जरूरत है कि यह सदन अपनी भूमिका और जिम्मेदारी का किस हद तक निर्वाह कर पाया। एक नयी पहल के तहत मैं पिछले ५ साल में इस प्रतिष्ठित सदन के कामकाज का विस्तृत ब्योरा देना चाहूंगा। देश के जिम्मेदार मतदाता जल्द ही एक और फैसला देंगे। मेरे विचार से पिछले पांच साल के दौरान राज्यसभा के कामकाज के बारे में जनता के समक्ष एक रिपोर्ट पेश करना समुचित और जरूरी है। 
    नायडू ने उच्च सदन के कामकाज में आ रही निरंतर कमी पर कहा कि यह चिंता का विषय है क्योंकि यह संसदीय लोकतंत्र के लिये गंभीर खतरा पेश करता है। सदन में सभी वर्गों के लिये यह सामूहिक जिम्मेदारी का भाव पैदा करने का समय है ताकि सदन के प्रभावी कामकाज को लेकर गहन आत्मचिंतन किया जाये। ऐसा करने पर इस प्रतिष्ठित सदन की गरिमा को किसी भी प्रकार के नुकसान से रोका जा सकेगा। उन्होंने कहा कि यह उच्च सदन कहलाता है और इस सदन में वरिष्ठों से दूसरों को रास्ता दिखाने की उम्मीद की जाती है। इस सत्र की शुरुआत में मुझे बहुत उम्मीदें थीं। आशावाद फिर से मुझे नाउम्मीद न होने और स्थिति के बदलने का इंतजार करने को प्रेरित करता है। मैं केवल उम्मीद कर सकता हूं कि जल्द ही सब कुछ ठीक होगा। 

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