
नई दिल्ली । अफगानिस्तान पर तालिबान ने भले ही अपना कब्जा जमा लिया हो, लेकिन उसके लिए यह रास्ता आसान नहीं रहा। क्योंकि अफगानिस्तान के अलग-अलग मोड़ पर उसका मुकाबला करने के लिए हमेशा कोई न कोई तैयार रहा है। इन्हीं में से एक थीं अफगानिस्तान के एक प्रांत की महिला गवर्नर सलीमा मज़ारी। बीच में खबर आई थी कि सलीमा मज़ारी को तालिबान ने पकड़ लिया है, बाद में उनके मारे जाने की भी अफवाह उड़ी। लेकिन इन तमाम कयासों से दूर सलीमा मज़ारी एकदम सुरक्षित हैं। 39 साल की सलीमा मज़ारी इस वक्त अमेरिका के संरक्षण वाली किसी सुरक्षित जगह पर हैं, जहां वह तालिबान को मात देते हुए पहुंची हैं।
सलीमा मज़ारी लंबे समय से तालिबान की हिटलिस्ट में शामिल हैं। चाहर में सलीमा मजारी ने तालिबान का लंबे वक्त तक मुकाबला किया था। सलीमा मजारी ने बताया कि तालिबान ने चारकिंत जिले में 30 से ज्यादा बार हमला किया, लेकिन वे कामयाब नहीं हो पाया। हालांकि, कुछ समय बाद ही काबुल और मज़ार-ए-शरीफ पर उसका कब्जा हो गया था। सलीमा मजारी साल 2018 में इस इलाके की गवर्नर बनी थीं, वह शुरू से ही सरकार की समर्थक रहीं और तालिबान का विरोध करती रहीं।
तालिबान ने कई बार उनपर हमला किया, लेकिन उन्होंने तालिबान का मुकाबला किया और ज़रूरत पड़ने पर बंदूक भी उठाई। जब तालिबान ने मजार ए शरीफ पर कब्जा किया और वो चारकिंत की ओर बढ़ने लगा। तब सलीमा मजारी अपने समर्थकों के साथ उजबेकिस्तान के बॉर्डर पर पहुंचीं ताकि वहां से निकल सके, लेकिन बॉर्डर से निकलने में उन्हें कामयाबी नहीं मिलीं। इसके बाद वह किसी तरह काबुल के एयरपोर्ट तक पहुंची।
इस दौरान बीच में तालिबान लड़ाके भी मिले, लेकिन वह उनसे बचकर किसी तरह निकल आईं। 25 अगस्त को सलीमा जाफरी अमेरिकी सेना की फ्लाइट से कतर पहुंचीं और उसके बाद अब अमेरिका में एक सुरक्षित स्थान पर हैं। सलीमा मज़ारी का कहना है कि तालिबान के खिलाफ उनकी लड़ाई अभी जारी है।