YUV News Logo
YuvNews
Open in the YuvNews app
OPEN

फ़्लैश न्यूज़

आर्टिकल

बाकुची (बावची) के  फायदे (त्वक रोगों की अप्रतिम औषधि ) 

बाकुची (बावची) के  फायदे (त्वक रोगों की अप्रतिम औषधि ) 

       बाकुची   के औषधीय गुण से कई रोगों का इलाज किया जाता है। आयुर्वेद के अनुसार, बाकुची (बावची) एक बहुत ही गुणी औषधि है, और इसके अनेक फायदे  हैं।
        बावची के औषधीय गुण से खांसी, डायबिटीज, बुखार, पेट के कीड़े, उल्टी में लाभ मिलता है। इतना ही नहीं, त्वचा की बीमारी, कुष्ठ रोग सहित अन्य रोगों में भी बाकुची के औषधीय गुण से फायदा मिलता है।
      बाकुची का पौधा एक साल तक जिंदा रहता है। सही देखभाल करने पर पौधा 4-5 वर्ष तक जीवित रह सकता है। बाकुची के बीजों से तेल बनाया जाता है। पौधे और तेल को चिकित्सा के लिए प्रयोग में लाया जाता है। ठंड के मौसम में बाकुची  के पौधों में फूल आते हैं, और गर्मी में फलों में बदल जाते हैं।
            बाकुचीकटुतिक्तोष्णा कृमिकुष्ठाकफापहा .त्वगदोष विष कण्डूतिश्वित्र प्रश्मी परा(रा .नि)
          तत्फलं पित्तलम कुष्ठकाफानिलहरम  कटु .केशयं त्वचचम् वमि श्वाश कास शोथयाम पांडुनुत.(भाव प्र )
         बाकुची तेल में मौजूद वाष्पशील यौगिक हैं लिमोनेन, टेरपिन-4-ओएल, β-कैरियोफिलीन, लिनालूल और गेरानिल एसीटेट। बाकुची तेल के आवश्यक औषधीय घटक सोरालेन, सोरालिडिन, आइसोप्सोरेलन, आइसोप्सोरलिडिन, बावाकौमेस्तान ए, कोरिलिडिन और बावाकौमेस्तान हैं। बकुचिओल बीज के तेल में मौजूद एक घटक है।
      बाकुची का वानस्पतिक नाम सोरेलिया कोरिलीफोलिया  है,
     यह फैबेसी  कुल का है।
    हिंदी में  – बाकुची, बावची
    इंग्लिश में  – मलाया टी , मलायाटी, सोरेलिया सीड
   संस्कृत में  – अवल्गुज, बाकुची, सुपर्णिका, शशिलेखा, कृष्णफला, सोमा, पूतिफली, कालमेषी, कुष्ठघ्नी, सुगन्धकण्टक
      फायदे
    दांत के रोग में
    दांत के रोग में बाकुची खाने के फायदे मिलते हैं। बिजौरा नीम्बू की जड़ और बाकुची की जड़ को पीसकर बत्ती बना लें। इससे दांतों के बीच में दबाकर रखें। इससे कीड़ों के कारण होने वाले दांत के दर्द से आराम मिलता है
    बाकुची के पौधे की जड़ को पीस लें। इसमें थोड़ी मात्रा में साफ फिटकरी मिला लें। रोज सुबह-शाम इससे दांतों पर मंजन करें। इससे दांतों में होने वाला संक्रमण ठीक हो जाता है। इससे कीड़े भी खत्म होते हैं।
      पेट में कीड़े होने पर
     पेट के रोग में भी बाकुची खाने से फायदा होता है। पेट में कीड़े होने पर बावची चूर्ण का सेवन करें। इसमें एन्टीवर्म गुण होता है जिससे कीड़े मर जाते हैं।
     दस्त में
     आप दस्त को रोकने के लिए बावची के औषधीय गुण से लाभ ले सकते हैंं। बाकुची के पत्ते का साग सुबह-शाम नियमित रूप से खाएं। कुछ हफ्ते खाने से दस्त की समस्या में बहुत लाभ होता है।
      बवासीर का इलाज
    बवासीर में भी बावची के औषधीय गुण से फायदा होता है। 2 ग्राम हरड़, 2 ग्राम सोंठ और 1 ग्राम बाकुची के बीज लेकर पीस लें। इसे आधी चम्मच की मात्रा में गुड़ के साथ सुबह-शाम सेवन करें। इससे बवासीर में लाभ होता है।
      गर्भनिरोधक (गर्भधारण रोकने के लिए) के रूप में
     बाकुची का उपयोग गर्भधारण रोकने के लिए किया जा सकता है। जो महिलाएं गर्भधारण नहीं करना चाहती हैं वे मासिक धर्म खत्म होने के बाद बाकुची के बीजों को तेल ) में पीसकर योनि में रखें। इससे गर्भधारण पर रोक लगती है।
      फाइलेरिया का इलाज
     फाइलेरिया रोग में बावची के इस्तेमाल से फायदा होता है। बाकुची के रस और पेस्ट को फाइलेरिया (हाथी पांव) वाले अंग पर करें। इससे फाइलेरिया में लाभ होता है।
    पीलिया का इलाज
   पीलिया में भी बावची के फायदे ले सकते हैं। 10 मिली पुनर्नवा के रस में आधा ग्राम पीसी हुई बावची के बीज का चूर्ण  मिला लें। सुबह-शाम रोजाना सेवन करने से पीलिया में लाभ होता है।
    त्वचा रोग
   बावची के औषधीय गुण से त्वचा रोग का इलाज किया जा सकता है। त्वचा रोग में लाभ लेने के लिए दो भाग बाकुची तेल, दो भाग तुवरक तेल और एक भाग चंदन तेल मिलाएं। इस तेल को लगाने से त्वचा की साधारण बीमारी तो ठीक होती ही है, साथ ही सफेद कुष्ठ रोग में भी फायदा होता है।
        सफेद दाग
      सफेद दाग का इलाज करने के लिए चार भाग बाकुची के बीज  चार भाग और एक भाग तबकिया हरताल का चूर्ण बना लें। इसे गोमूत्र में मिलाकर सफेद दागों पर लगाएं। इससे सफेद दाग दूर हो जाते हैं।
      बाकुची और पवाड़ को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर सिरके में पीसकर सफेद दागों पर लगाएं। इससे सफेद दाग में लाभ होता है।
        बाकुची, गंधक व गुड्मार को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर तीनों का चूर्ण बना लें।  12 ग्राम चूर्ण को रात भर के लिए जल में भिगो दें। सुबह जल को साफ करके सेवन कर लें। इसके बाद नीचे के तल में जमा पदार्थ को सफेद दागों पर लगाएं। इससे सफेद दाग खत्म हो जाते हैं।
      सफेद दाग का उपचार करने के लिए 10-20 ग्राम शुद्ध बाकुची चूर्ण में एक ग्राम आंवला मिलाएं। इसे खैर तने के 10-20 मिली काढ़ा के साथ सेवन करें। इससे सफेद दाग की बीमारी ठीक हो जाती है।
        बाकुची, कलौंजी और धतूरे के बीजों को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर आक के पत्तों के रस में पीस लें। इसे सफेद दागों पर लगाएँ। इससे सफेद कुष्ठ में लाभ होता है।
       बाकुची, इमली, सुहागा और अंजीर के जड़ की छाल को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर जल में पीस लें। इसे सफेद दागों पर लेप करने से सफेद दाग की बीमारी ठीक होती है।
      सफेद दाग का इलाज करने के लिए लोग बाकुची , पवांड़ और गेरू को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। इसे अदरक के रस में पीसकर सफेद दागों पर लगाकर धूप में सेकें। इससे सफेद दाग की बीमारी में फायदा होता है।
     सफेद दाग के इलाज के लिए बाकुची, गेरू और गन्धक को बराबर-बराबर मात्रा में लें। इसे पीसकर अदरक के रस में खरल कर लें। इसकी 10-10 ग्राम की टिकिया बना लें। एक टिकिया को रात भर के लिए 30 मिग्रा जल में डाल दें। सुबह ऊपर का साफ जल पी लें। नीचे की बची हुई औषधि को सफेद दागों पर मालिश करें। इसके बाद धूप सेकने से सफेद दाद की बीमारी में लाभ होता है।
सफेद दाग का उपचार करने के लिए बाकुची, अजमोदा, पवांड और कमल गट्टा को समान भाग लेकर पीस लें। इसमें मधु मिलाकर गोलियां बना लें। इसके बाद अंजीर की जड़ की छाल का काढ़ा बना लें। एक से दो गोली तक सुबह-शाम काढ़ा के साथ सेवन करने से सफेद दाग में लाभ होता है।
        सफेद दाग के उपचार के लिए 1 ग्राम शुद्ध बाकुची और 3 ग्राम काले तिल के चूर्ण में 2 चम्मच मधु मिला लें। इसे सुबह और शाम सेवन करने से सफेद दाग की बीमारी में लाभ होता है।
       सफेद दाग का इलाज करने के लिए शुद्ध बाकुची  अंजीर के पेड़ ती जड़ की छाल, नीम की छाल और पत्ते का बराबर-बराबर भाग लेकर कूट लें। इसे खैर की छाल के काढ़ा में मिला लें। इसे पीस कर दो से पांच ग्राम तक की मात्रा में जल के साथ सेवन करें। इससे सफेद दाग मिट जाता है।
       बाकुची पांच ग्राम और केसर एक भाग लेकर पीस लें। इसे गोमूत्र में खरल कर गोली बना लें। इस गोली को जल में घिसकर लगाने से सफेद दाग में लाभ होता है।
     सफेद दाग का उपचार करने के लिए 100 ग्राम बाकुची, 25 ग्राम गेरू और 50 ग्राम पंवाड़ के बीज लेकर कूट पीस लें। इसे कपड़े से छानकर चूर्ण कर लें। इसे भांगरे के रस में मिला लें। सुबह और शाम गोमूत्र में घिसकर लगाने से सफेद दाग ठीक होता है।
      बाकुची चूर्ण को अदरक के रस में घिसकर लेप करने से सफेद रोग में लाभ होता है।
     सफेद दाग का उपचार करने के लिए बाकुची दो भाग, नीलाथोथा और सुहागा एक-एक भाग लेकर चूर्ण कर लें। एक सप्ताह के लिए भांगरे के रस में घोंटकर रख लें। इसके बाद कपड़े से छान लें। इसको नींबू के रस में मिलाकर सफेद दाग पर लगाएं। इससे सफेद दाग नष्ट होते हैं। यह प्रयोग थोड़ा जोखिम भरा होता है। इसलिए यह प्रयोग करने पर अगर छाला होने लगे तो प्रयोग बंद कर दें।
      शुद्ध बाकुची  के चूर्ण की एक ग्राम मात्रा को बहेड़े की छाल और जंगली अंजीर की जड़ की छाल के काढ़े में मिला लें। इसे रोजाना सेवन करते रहने से सफेद दाग और पुंडरीक (एक प्रकार का कोढ़) में लाभ होता है।
      सफेद दाग का इलाज करने के लिए बाकुची, हल्दी और आक की जड़ की छाल को समान भाग में लें। इसे महीन चूर्ण कर कपड़े से छान लें। इस चूर्ण को गोमूत्र या सिरका में पीसकर सफेद दागों पर लगाएं। इससे सफेद दाग नष्ट हो जाते हैं। यदि लेप उतारने पर जलन हो तो तुवरकादि तेल  लगाएं।
     1 किग्रा बावची को जल में भिगोकर छिलके उतार लें। इसे पीसकर 8 लीटर गाय के दूध और 16 लीटर जल में पकाएं। दूध बच जाने पर दही जमा लें। इसके बाद मक्खन निकालकर घी बना लें। एक चम्मच घी में 2 चम्मच मधु मिलाकर चाटने से सफेद दाग की बीमारी में लाभ होता है।
       सफेद दाग की बीमारी का इलाज करने के लिए बाकुची तेल की 10 बूंदों को बताशा में डालकर रोजाना कुछ दिनों तक सेवन करें। इससे सफेद कुष्ठ रोग में लाभ होता है।
       बाकुची को गोमूत्र में भिगोकर रखें। तीन-तीन दिन बाद गोमूत्र बदलते रहें। इस तरह कम से कम 7 बार करने के बाद इसे छाया में सुखाकर पीसकर रखें। भोजन करने से एक घंटा पहले इसमें से 1-1 ग्राम सुबह-शाम ताजे पानी से खाएं। इससे श्वित्र (सफेद दाग) में निश्चित रूप से लाभ होता है।
     कफ वाली खांसी का इलाज
    आधा ग्राम बाकुची के बीज के चूर्ण को अदरक के रस के साथ दिन में 2-3 बार सेवन करें। इससे कफ ढीला होकर निकल जाता है।
     बहरेपन
      बहरेपन के रोग में बावची के औषधीय गुण से फायदा होता है। रोजाना मूसली और 1-3 ग्राम बाकुची के चूर्ण का सेवन करें। इससे बहरेपन (बाधिर्य) की बीमारी में लाभ  होता है।
     सांसों से जुड़ी बीमारियों में
    आधा ग्राम बाकुची बीज चूर्ण  को अदरक के रस के साथ दिन में 2-3 बार सेवन करें। इससे सांसों से जुड़ी बीमारियों में लाभ होता है।
      गांठ होने पर
      चर्बी के कारण शरीर के किसी अंग में गांठ हो गई हो तो बावची का औषधीय गुण लाभदायक सिद्ध होता है। एक रिसर्च के अनुसार, ये गांठ को बढ़ने से रोकता है।
   कुष्ठ रोग
      बाकुची 1 ग्राम बाकुची और 3 ग्राम काले तिल को मिला लें। एक साल तक दिन में दो बार इसका सेवन करें। इससे कुष्ठ रोग में लाभ  होता है।
    बाकुची के बीजों को पीसकर गांठ पर बांधते रहने से कुष्ठ रोग के कारण होने वाली गांठ बैठ जाती है।
     बाकुची  के निम्न भागों का उपयोग कर सकते हैंः---
      बीज,बीज से बना तेल,पत्ते,जड़,फली
      मात्रा ---चूर्ण – 0.5-1 ग्राम
     बाकुची  के सेवन से नुकसान
      बाकुची के सेवन से पेट से संबंधित विकार हो सकते हैं।
      ज्यादा बाकुची के सेवन से उल्टी हो सकती है।
      ऐसी परेशानी होने पर दही का सेवन करना चाहिए।
   योग ---बाकुची तेल
 (लेखक- विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन )
 

Related Posts