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युवा चेहरों के जरिए जातीय समीकरण बिठाने की कोशिश

युवा चेहरों के जरिए जातीय समीकरण बिठाने की कोशिश

नई दिल्ली ।  लंबे इंतजार के बाद प्रदेश सरकार का तीसरा मंत्रिमंडल विस्तार आखिरकार विधानसभा चुनाव से चार महीने पहले हो ही गया। सत्ता में दोबारा वापसी के प्रयासों में जुटी भाजपा सरकार और संगठन ने नए मंत्रिमंडल में शामिल सात मंत्रियों व चार एमएलसी के मनोनयन  के जरिये न केवल जातीय समीकरण साधने की कोशिश की है बल्कि युवाओं, महिलाओं के साथ ही अपनी ही पार्टी के चेहरों को तरजीह दी है।  मंत्रिमंडल में कमोबेश हर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व शामिल करने की कोशिश हुई है। वहीं वर्ष 2019 में सुभासपा के खाए धोखे या यूं कहें सहयोगी दलों की तुलना में अपनी पार्टी के चेहरों को मंत्रिमंडल में लेकर संदेश देने की कोशिश की गई है कि पार्टी के लिए  अपना संगठन और विधायक ही सर्वोपरि हैं। वहीं यह भी साफ संदेश दे दिया गया है कि मिशन-2022 में पार्टी कुछ उसी समीकरण गैर-यादव-गैर जाटव ओबीसी और दलितों के जरिये ही नैया पार करने की एक बार फिर कोशिश करेगी, जैसा उसने वर्ष 2017 व 2019 में किया था। मंत्रिमंडल में शामिल चेहरों में तीन ओबीसी हैं। वहीं दो अनुसूचित जाति और एक अनुसूचित जनजाति के हैं। वहीं जितिन प्रसाद मंत्रिमंडल में ब्राह्मण चेहरे के रूप में शामिल हुए हैं। गौरतलब है कि पार्टी ने अपने गैर यादव-गैर जाटव समीकरण पर कायम रहते हुए। ओबीसी के साथ ही दलित जातियों को भी संदेश देने की कोशिश की है। गाजीपुर से डा. संगीता बिंद को शामिल करना दरअसल, अलग हुए सहयोगी दल सुभासपा के समीकरण को पूर्वांचल में बिगाड़ने की कोशिश है। पार्टी ने जिन सात मंत्रियों को शामिल किया है, उनमें एक छत्रपाल सिंह गंगवार को छोड़ दें तो बाकी छह मंत्रियों की औसत उम्र 49 वर्ष है। यही नहीं पार्टी ने ऐसे चहरों को महत्व दिया है जो पहली बार विधानसभा पहुंचे। इनमें मुख्य रूप से डा. संगीता बलवंत, संजय गौड़, पल्टू राम और दिनेश खटीक पहली बार विधानसभा पहुंचे थे। इन चारों की ही उम्र 43 से लेकर 49 वर्ष के बीच यानी औसतन 45 वर्ष है। उन्हें पार्टी व संगठन के प्रति निष्ठा का पुरस्कार मिला। निषाद समाज को लेकर गर्माई राजनीति के बीच मंत्रिमंडल में शामिल डा. संगीता बलवंत ऐसा चेहरा हैं जो न केवल मंत्रिमंडल में महिला और युवा हैं बल्कि निषाद समाज के शिक्षित वर्ग से हैं। वह न केवल छात्र जीवन से राजनीति से जुड़ी रहीं बल्कि वकालत के पेशे हैं। उन्हें शामिल कर पार्टी ने  निषाद समाज में शिक्षित लोगों को आगे आने का ही संदेश देकर प्रेरित करने का प्रयास किया है।
 

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