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 सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिबंध के बावजूद पटाखे जलाने पर नाराजगी जताई

 सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिबंध के बावजूद पटाखे जलाने पर नाराजगी जताई

नई दिल्ली  । सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिबंध के बावजूद पटाखे जलाने पर नाराजगी जताते हुए कहा है कि चुनाव जीतने के बाद जश्न के लिए जमकर पटाखे जलाए जाते हैं। जिनकी जिम्मेदारी है आदेश लागू कराने की वही सब कुछ जानते समझते उल्लंघन कराते हैं। हजार नहीं दसियों हजार बार ऐसे उल्लंघन होता है। अदालती आदेशों का पालन किया जाना चाहिए। 
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम इस मामले में कोई कोताही नहीं बर्दाश्त करेंगे। हम समुचित आदेश पारित करेंगे। जस्टिस एम आर शाह ने कहा, 'लोगों को दूसरों के जीवन को प्रभावित करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। किसी पर जवाबदेही तय करनी होगी। वो हर धार्मिक आयोजन, शादी में लड़ियां चलाई जाती हैं। हमें किसी पर जिम्मेदारी तय करनी होगी वरना यह बिल्कुल भी नहीं रुकेगा। हम लोगों को दूसरों के जीवन को प्रभावित करने की अनुमति नहीं दे सकते। हमने पहले के आदेश भी देखे हैं। हमारा ध्यान दूसरों के जीवन के अधिकार पर है। हमारे देश में सबसे बड़ी कठिनाई कार्यान्वयन है। हमारे यहां कानून हैं लेकिन उन्हें सच्ची भावना से लागू करने की जरूरत है।'
जस्टिस एम।आर। शाह और जस्टिस ए एस बोपन्ना की बेंच पटाखा निर्माताओं द्वारा पटाखा उत्पादन बैन की याचिका पर सुनवाई कर रही है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील गोपाल शंकरनारायण ने कहा कि हरेक त्यौहार पर अदालत के आदेश का उल्लंघन किया जाता है। पटाखों के निर्माण और यातायात को लेकर पूरे देश के लिए एक आदेश जारी किए जाने की जरूरत है।
सुप्रीम कोर्ट में पटाखा निर्माताओं के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील गोपाल शंकरनारायण ने कहा कि पर्यावरण प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण दीवाली के दौरान पटाखे होते हैं। ऐसे में पटाखों पर पूरी तरह प्रतिबंध जारी रहना चाहिए। शंकरनारायण ने कहा कि इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने बीते कई साल में कई आदेश दिए हैं। पटाखों की ऑनलाइन सेल, पटाखों का निर्माण, लाइसेंस और लेबलिंग इन मुद्दों पर अदालत ने आदेश दिए हैं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के कई आदेशों के बावजूद पटाखों के निर्माण और ट्रांसपोर्ट को लेकर उल्लंघन जारी है जिसके खिलाफ अवमानना याचिका दायर की गई है।
शंकरनारायण ने कहा कि पूरे देश में हरेक शहर में 300 से ज्यादा प्रकार से पटाखे आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। मुंबई से कोलकाता तक व अन्य शहरों में भी सर्वेक्षण कराए गए, जिनमें यह सच सामने आया। अधिकारी इस मामले में गंभीरता से कदम नहीं उठाते इसके चलते अदालत के आदेश का उल्लंघन हो रहा है। पटाखे नशीले पदार्थ नहीं हैं कि कोई इसे बाथरूम में बंद होकर धूम्रपान की तरह कर लेगा। यह दण्ड का भय न रहने की वजह से चल रहा है। कार्यपालिका न्यायालय के आदेशों को लागू करने में विफल रही है।
शंकरनारायण ने कहा कि सिर्फ पांच तरह के ग्रीन पटाखों की मंजूरी है। लेकिन बाजार में तमाम तरह के पटाखे खुलेआम धड़ल्ले से बिक रहे हैं। उन्होंने कहा कि नीरी उन्हें प्रमाण पत्र भी देता रहा है। अधिकांश पटाखों में मौजूद बेरियम नाइट्रेट प्रमाणित होता है जबकि पेसो को ही ग्रीन पटाखों को प्रमाणित करना चाहिए।
 

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