
नई दिल्ली । 2014 में मोदी सरकार आने के बाद से कांग्रेस के खांटी नेताओं का रवैया पार्टी नेतृत्व को परेशान कर रहा था। जैसे-जैसे समय बीता, उनका रंग-ढंग भी सामने आ गया। जी-23 के नेताओं और भाजपा के बीच पक रही खिचड़ी को बेस्वाद करने राहुल गांधी ने पुराने नेताओं को किनारे करना शुरू कर दिया है। उनके जवाब में पार्टी में कन्हैया कुमार, जिग्रेश मेवानी और हार्दिक पटेल आए हैं। कांग्रेस अब ऐसे ही युवा नेताओं के सहारे सरकार पर हमला बोलेगी और अपनी धार को मजबूत करेगी। कहा जा रहा है कि जी-23 में शामिल नेता अपनी साख बचाने और कमाई को बने रहने के लिए मोदी सरकार के लिए भेदी का काम कर रही है। कांग्रेस को भी इसका इल्म है।
जी-23 के नेताओं की भूमिका संदिग्ध
जी-23 में शामिल नेताओं की भूमिका संदिग्ध है। पार्टी का विरोध सार्वजनिक करने में जुटे नेता सत्ता और संगठन में बड़े पदों का सुख भोग चुके हैं। मगर 2014 मेंं भाजपा के सत्ता में आने के बाद एक-दो को छोड़ सभी की जुबान सिल गई। मोदी सरकार की नीतियों का विरोध भूल गए। अपनी पार्टी की उपलब्धियों को बताना बंद कर दिया। सिर्फ राहुल ही रहे, जो आज तक सरकार के खिलाफ मोर्चा संभाले हैं।
भाजपा से सांठगांठ के आसार
दिल्ली में बैठे लोगों के बीच चर्चा है कि जी-23 के नेताओं और भाजपा के बीच सांठगांठ है। ये लोग सीबीआई और ईडी के डर से भाजपा के साथ जा मिले हैं और घर के भेदी की भूमिका निभा रहे हैं। मगर अब जबकि कांग्रेस ने इन्हें किनारे लगाकर युवा नेताओं को आगे लाने का काम किया है, तो जी-23 के नेताओं और भाजपा में घबराहट का माहौल है। युवा नेता आक्रामक होकर भाजपा पर प्रहार करेंगे और उन्हें किसी का डर भी नहीं रहेगा।