
नई दिल्ली । पंजाब कांग्रेस का बवाल खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पंजाब की राजनीति में मची उथल-पुथल से कांग्रेस आलाकमान की चिंता बढ़ गई है। कांग्रेस पार्टी पंजाब में सियासी गर्मी का सामना कर रही है और इसका असर दिल्ली में देखा जा रहा है। कांग्रेस किस कदर मझधार में फंसी है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पार्टी के वरिष्ठ नेता सार्वजनिक रूप से नेतृत्व के सामने अपनी नाराजगी और मतभेद प्रकट कर रहे हैं, पंजाब मसले पर पार्टी दो फाड़ हो गई है और देश की सबसे पुरानी पार्टी वेट एंड वॉच की मोड में चली गई है। नवजोत सिंह सिद्धू का इस्तीफा, कैप्टन की अमित शाह से मुलाकात, सिब्बल का गांधी परिवार पर हमला, ये सब ऐसे घटनाक्रम हैं, जिसका जवाब तलाशना कांग्रेस के लिए कतई आसान नहीं होगा।
नवजोत सिंह सिद्धू ने पंजाब प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर न सिर्फ बगावती तेवर दिखाए हैं, बल्कि कांग्रेस आलाकमान की मुसीबत बढ़ा दी है। नवजोत सिंह सिद्धू के कहने पर कैप्टन अमरिंदर सिंह के पर कतरने वाली कांग्रेस को कहां पता था कि महज आठ-दस दिन बाद ही सिद्धू इस मुश्किल में डाल देंगे कि पार्टी पंजाब में कई खेमों में बंट जाएगी। इधर, कांग्रेस के लिए मुसीबतों को और बढ़ाते हुए पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की और खेमे में बदलाव की अटकलों को हवा दी। हालांकि उन्होंने आधिकारिक तौर पर इस तरह के किसी भी कदम से इनकार किया है।
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने हाल ही में पंजाब के सीएम पद से अपना इस्तीफा दिया है। कैप्टन के इस्तीफे के बाद उनके दिल्ली के इस कार्यक्रम को लेकर कई तरह की बातें कही जा रही हैं। राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि वे तीन नए कृषि कानूनों को लेकर किसी बड़ी पहल के साथ दिल्ली पहुंचे थे। कहा जा रहा है कि वे किसान आंदोलन खत्म कराने में बड़ा रोल अदा कर सकते हैं और इसके लिए केंद्र सरकार से कोई रणनीति तैयार करा सकते हैं। इतना ही नहीं, अटकलें यह भी है कि वह भाजपा का दामन थाम सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो आगामी चुनाव में कांग्रेस को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।