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मरीज की मौत मामले में 25 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने दिया 6 लाख मुआवजे का आदेश -प्लेटलेट्स कम होने के चलते हुई सर्जरी से मरीज की हो गई थी मौत

मरीज की मौत मामले में 25 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने दिया 6 लाख मुआवजे का आदेश -प्लेटलेट्स कम होने के चलते हुई सर्जरी से मरीज की हो गई थी मौत

चिकित्सक की लापरवाही के चलते एक मरीज की सर्जरी के बाद मौत होने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मरीज के परिजनों को 6 लाख रुपए मुआवजा देने का फैसला सुनाया है। दरअसल, मरीज का प्लेटलेट्स 35 हजार पर होने के बावजूद ऑपरेशन करने के कारण मरीज की मौत हो गई। सुप्रीम कोर्ट ने अस्पताल को निर्देश दिया है कि वह बतौर मुआवजा मृतक के परिजन को 6 लाख रुपये भुगतान करे। 15 साल के बच्चे को पेट दर्द, बुखार और आंखों में हेमरेज के कारण उसे 25 साल पहले पटना के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था वहां ऑपरेशन हुआ बाद में उसकी मौत हो गई। मामले में मृतक के पिता की ओर से अदालत का दरवाजा खटखटाया गया था।
दरअसल 15 साल के संजय कुमार को बुखार, हेमरेज और पेट दर्द के कारण उसके पैरंट्स ने डॉक्टर को दिखाया। डॉक्टर ने कुछ टेस्ट और दवाइयां लिखी और बाद में रिपोर्ट देखने के बाद उसे स्पेशलिस्ट से दिखाने को कहा। उसे पटना के एक अस्पताल में 11 नवंबर 1995 को भर्ती कराया गया। वहां रिपोर्ट देखने पर पता चला कि संजय का प्लेटलेट्स 35 हजार पर है इस दौरान उसे दो यूनिट खून चढ़ाया गया और फिर उसका ऑपरेशन किया गया। उसकी ब्लीडिंग नहीं रुकी। बाद में उसकी बिगड़ती स्थिति पर उसे पीएमसीएएच में भर्ती कराया गया, लेकिन 16 नवंबर को उसकी मौत हो गई।
इस मामले में बाद में एक डॉक्टर ने राय दी कि मरीज का का प्लेटलेट्स 35 हजार था और इस स्थिति में ऑपरेशन करना ब्लंडर था और यह लापरवाही है। मामला राज्य उपभोक्ता अदालत के सामने गया। राज्य उपभोक्ता अदालत ने कहा कि मरीज की सही तरह से जांच नहीं हुई। प्लेटलेट्स 35 हजार पर था जबकि साधारण तौर पर प्लेटलेट्स 1.5 लाख से 4 लाख तक होना चाहिए। इस स्थिति में ऑपरेट करना मेडिकल लापरवाही है क्योंकि प्लेटलेट्स काफी कम था। राज्य उपभोक्ता अदालत ने अस्पताल को निर्देश दिया कि वह याचिकाकर्ता को 4 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया। ऑपरेट करने वाले डॉक्टर को निर्देश दिया कि वह 2 लाख रुपये मुआवजा दे।
इस फैसले को डॉक्टर ने दिल्ली स्थित नेशनल कंज्यूमर फोरम में चुनौती दी। नेशनल कंज्यूमर फोरम ने कहा कि इस मामले में डॉक्टर की लापरवाही थोड़ी सी है और उन्हें मुआवजा देने से मुक्त कर दिया। मामले में नेशनल कंज्यूमर फोरम के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। बच्चे के पिता की ओर से कहा गया कि यह केस मेडिकल लापरवाही का है। 35 हजार प्लेटलेट्स होने के बावजूद ऑपरेट किया गया जो लापरवाही है। अस्पताल और डॉक्टर की ओर से कहा गया कि जब मरीज को लाया गया था तो बेहद गंभीर स्थिति में था। सर्जन ने बचाने की पूरी कोशिश की। उसने बचाने के प्रयास में जो ऑपरेशन का फैसला लिया वह मेडिकल लापरवाही नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस बात के साक्ष्य नहीं है कि बेहद लो प्लेटलेट्स के बावजूद सर्जरी ही आखिरी उपाय था। जहां तक मुआवजे का सवाल है तो सुप्रीम कोर्ट निर्देश देती है कि अस्पताल इस मामले में पीड़ित याचिकाकर्ता को कुल 6 लाख रुपये मुआवजे का भुगतान करे। 

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