
नई दिल्ली । उपराष्ट्रपति एम.वेंकैया नायडू ने आज राष्ट्र निर्माण में भारतीय वैज्ञानिक समुदाय के योगदान की सराहना की और कहा कि हमारे देश की भविष्य की प्रगति हमारे सक्षम वैज्ञानिकों के हाथों में है। उन्होंने शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों से भारत को एक बार फिर से विश्वगुरु बनाने के लिए अन्य महत्वपूर्ण समूहों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करने का आग्रह किया। इंफाल में जैव संसाधन और स्थायी विकास संस्थान (आईबीएसडी) द्वारा आयोजित 'भारत के उत्तर पूर्वी क्षेत्र के जैव संसाधनों से जैव अर्थव्यवस्था' पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी में सभा को संबोधित करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि विवेकशील सोच और वैज्ञानिक स्वभाव एक प्रगतिशील राष्ट्र की आधारशिला हैं। उन्होंने उपस्थित वैज्ञानिकों से कहा, "आप देश के सर्वांगीण विकास में तेजी लाने के लिए तथ्यात्मक वैज्ञानिक ज्ञान को लागू करने के लिए अपेक्षित शिक्षा, प्रशिक्षण, फोकस और अनुशासन से संपन्न हैं।"
उपराष्ट्रपति ने कहा कि केंद्र सरकार क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाकर पूर्वोत्तर को प्राथमिकता दे रही है। उन्होंने सभी राज्यों से विकास और समृद्धि के लिए टीम इंडिया की तरह सच्ची भावना से केंद्र के साथ मिलकर काम करने का आग्रह किया। शांति को प्रगति की पूर्व शर्त बताते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्र की एकता और अखंडता से कोई समझौता नहीं किया जा सकता है। श्री नायडू ने पारदर्शिता और भ्रष्टाचार मुक्त शासन की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि गरीबों के लिए आवंटित धनराशि बिना किसी परिवर्तन या गड़बड़ी किए उन तक पहुंचनी चाहिए। उन्होंने प्रशासन में मातृभाषा के प्रयोग के महत्व पर बल देते हुए ग्रामीणों को विकास योजनाओं की जानकारी स्थानीय भाषा में उपलब्ध कराने का आह्वान किया। उपराष्ट्रपति ने जैव संसाधन और स्थायी विकास संस्थान (आईबीएसडी) में फाइटो-फार्मास्युटिकल लैब सुविधा का उद्घाटन किया। यह देखते हुए कि उत्तर-पूर्वी क्षेत्र एक जैव विविधता हॉटस्पॉट है, जिसमें समृद्ध विविधता वाले पारिस्थितिक तंत्र हैं, श्री नायडू ने आधुनिक जैव प्रौद्योगिकी उपकरणों का उपयोग करके स्थायी विकास के लिए क्षेत्र के जैव संसाधनों के प्रबंधन के लिए आईबीएसडी की प्रशंसा की।