
नई दिल्ली । नेशनल फुटबॉल टीम के सदस्यों समेत 100 महिला फुटबॉल खिलाड़ियों को अफगानिस्तान से निकाला गया है। तालीबान की नजर से बचाते हुए फ्लाइट के जरिए उन्हें दोहा लाया गया है। तालिबान महिलाओं के खिलाफ अपनी दमनकारी नीति के लिए जाना जाता है। कतर के सहायक विदेश मंत्री लोलवाह अल-खतर ने एक ट्वीट में कहा, "महिला खिलाड़ियों सहित लगभग 100 फुटबॉल खिलाड़ी और उनके परिवार बोर्ड में हैं।"
ग्रुप में कम से कम 20 राष्ट्रीय महिला टीम फुटबॉल खिलाड़ी शामिल हैं। निकलाने के साथ खिलाड़ियों को कोरोनो वायरस परीक्षण से गुजरने के लिए एक परिसर में ले जाया गया। यह साफ नहीं है कि वे कब तक कतर में रहेंगे।फुटबॉल की विश्व शासी निकाय फीफा, अफगानिस्तान से खिलाड़ियों को निकालने के लिए कतर सरकार के साथ मिलकर काम कर रही है। अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों के संघ ने अगस्त में अफगानिस्तान महिला राष्ट्रीय टीम के खिलाड़ियों के लिए काबुल से बाहर निकलने के लिए उड़ानों में सीट सुरक्षित करने में मदद की।अगस्त में अफगान सरकार के गिरने के बाद तालिबान ने 20 साल बाद फिर देश पर अपना कब्जा कर लिया, जिसके बाद से महिला एथलीटों समेत सभी महिलाओं की सुरक्षा के लिए चिंताएं उठाई गईं। अफ़ग़ान महिला फ़ुटबॉल टीम की पूर्व कप्तान, खालिदा पोपल ने अफगानिस्तान में खिलाड़ियों से अपने स्पोर्ट्स गियर को जलाने और तालिबान शासन के प्रतिशोध से बचने के लिए अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स को हटाने का आग्रह किया था। तालिबान के सत्ता में आने के बाद से देश की कई महिला फुटबॉल खिलाड़ी छिप गई हैं।
उन्हें डर है कि अगर तालिबान को उनका पता चला तो वे उन्हें जिंदा नहीं छोड़ेंगे। अगस्त में तालिबान के देश पर कब्जा करने के तुरंत बाद, अफगानिस्तान की महिला राष्ट्रीय फुटबॉल टीम की एक पूर्व खिलाड़ी फानूस बसीर भाग गई और उन्होंने कहा कि तालिबान शासन में उनका कोई भविष्य नहीं है।उन्होंने कहा, "हमारे देश के लिए, हमारे भविष्य के लिए, अफगानिस्तान में महिलाओं के भविष्य के लिए हमारे बहुत सारे सपने थे। यह हमारा सबसे बुरा सपना था कि तालिबान आएंगे और पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लेंगे। महिलाओं के लिए कोई भविष्य नहीं है।"