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बिना किसी विनियमन के बेलगाम विदेशी चंदा प्राप्त करना मौलिक अधिकार नहीं  सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर सरकार ने कहा 

बिना किसी विनियमन के बेलगाम विदेशी चंदा प्राप्त करना मौलिक अधिकार नहीं  सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर सरकार ने कहा 

नई दिल्ली । केंद्र की मोदी सरकार ने विदेशी चंदा (विनियमन) अधिनियम, 2010 में किए संशोधनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज करने की सुप्रीम कोर्ट से मांग करते हुए कहा कि बिना किसी विनियमन के बेलगाम विदेशी चंदा प्राप्त करना मौलिक अधिकार नहीं है।
केंद्र ने शीर्ष अदालत में दायर हलफनामे में कहा है कि यह अधिनियम एक ऐसा संप्रभु और समग्र कानून है, जिसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि विदेशी धन भारत में सार्वजनिक जीवन के साथ-साथ राजनीतिक और सामाजिक धारा पर हावी न हो। हलफनामे में कहा गया है, कुछ विदेशी ताकतें कुत्सित इरादों के साथ भारत की आंतरिक राजनीतिक में हस्तक्षेप करते हैं और ऐसी ताकतों को इससे रोकने के लिए यह संशोधन बहुत ही जरूरी था।इसके बाद चंदे के लेन-देन पर प्रतिबंध का उद्देश्य इसतरह के कुत्सित इरादों को रोकना और इसके खिलाफ कदम उठाना है।’’
हलफनामे में कहा गया है कि अधिनियम का उद्देश्य कुछ व्यक्तियों या संघों या कंपनियों द्वारा लिये जाने वाले विदेशी चंदे या विदेशी आतिथ्य को विनियमित करना है और ऐसी किसी भी गतिविधियों को प्रतिबंधित करना या रोकना है, जो राष्ट्रीय हित के विरुद्ध हैं।बिना किसी विनियमन के बेलगाम विदेशी चंदा प्राप्त करने का कोई मौलिक अधिकार निहित नहीं है।’’
सरकार ने दलील दी है, वास्तव में, ऐसा कोई मौलिक अधिकार मौजूद नहीं है,जिसके तहत कोई भी कानूनी या इसके इतर अधिकार विदेशी चंदा प्राप्त करने के कथित अधिकार को शामिल करने के लिए कहा जा सकता है।सुप्रीम कोर्ट तीन अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है,जिसमें विदेशी चंदा विनियमन (संशोधन) अधिनियम, 2020 से संबंधित मुद्दे उठाए हैं। इनमें से दो याचिकाओं में अधिनियम में किए गए संशोधनों को चुनौती दी गई है, जबकि एक ने संशोधित और कानून के अन्य प्रावधानों को सख्ती से लागू करने की मांग की है।
न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ 28 अक्टूबर को मामले की सुनवाई करेगी। केंद्र ने कहा कि वह राष्ट्रीय विकास में गैर-लाभकारी और स्वैच्छिक संगठनों की भूमिका को पहचानता है और वास्तविक गैर-सरकारी संगठनों को विदेशी चंदा (विनियमन) अधिनियम, 2010 के तहत अनिवार्य किसी भी नियामक अनुपालन से दूर होने की जरूरत नहीं है। सरकार ने कहा है कि विनियमन के बिना विदेशी चंदा प्राप्त करने का कोई अधिकार नहीं है। इसने कहा कि एसोसिएशन बनाने के अधिकार और व्यापार एवं पेशे की स्वतंत्रता के अधिकार में बेलगाम और अनियमित विदेशी चंदा प्राप्त करने का अधिकार शामिल नहीं हो सकता।
 

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