
नई दिल्ली । दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के प्रमुख डॉ रणदीप गुलेरिया ने कि कोविड-19 वैक्सीन की बूस्टर डोज की जरूरत अगले वर्ष कभी भी हो सकती है, हालांकि निर्भर करेगा कि पहले से दी गई दोनों डोज बीमारी और मृत्यु से कब तक बचाए रखती हैं। एक समाचार चैनल से बच्चों के टीकाकरण पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि अमेरिका जैसे कुछ अन्य देशों ने इसकी सिफारिश की है। हमें भरोसा है कि जल्द ही बच्चों का टीकाकरण भी शुरू हो जाएगा।
कोरोना की अंतिम बूस्टर डोज पर डॉ गुलेरिया ने बताया "इस पर चर्चा की जा रही है कि इसे एंटीबॉडी की उपस्थिति के बजाय समय (कोरोनावायरस से सुरक्षा की अवधि) पर आधारित होना चाहिए। हमारे पास बूस्टर के लिए समयरेखा पर कोई निश्चित जवाब नहीं है। अभी हम एंटीबॉडी के आधार पर बूस्टर शॉट देने का फैसला नहीं कर सकते। इसे समय पर आधारित होना चाहिए, यानी कि दूसरी खुराक मिले आपको कितना समय हो गया है। आमतौर पर एक साल के बाद हम बूस्टर शॉट्स को देखना शुरू कर सकते हैं।"
उन्होंने बताया "हमें अधिक डेटा की आवश्यकता है। ब्रिटेन में हम बढ़े हुए मामले देख रहे हैं, लेकिन अस्पताल में भर्ती होने के मामलों या मौतों में वृद्धि नहीं हुई है। ब्रिटेन ने दिसंबर (भारत से एक महीने पहले) में अपना टीकाकरण शुरू किया था। अगर हम अधिक अस्पताल में भर्ती होने की संख्या नहीं देख रहे हैं, तो इसका मतलब है कि दिसंबर में ब्रिटेन में दी गई खुराक अब तक असर दिखा रही हैं। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि अभी हम भी सुरक्षित जोन में हैं। लेकिन अगर वायरस उत्परिवर्तित होता है और इससे हमारी रोग प्रतिरोग क्षमता कम होती है तो बूस्टर की जरूरत होगी।"
उन्होंने बताया "अभी कोई स्पष्ट योजना नहीं है, बातचीत चल रही है। मुझे लगता है कि अगले साल कभी भी हम बूस्टर को देखेंगे। हम पहले अधिक कमजोर वर्गों पर ध्यान केंद्रित करेंगे जैसे कि बुजुर्ग हैं, क्योंकि उन्हें गंभीर कोविड का अधिक खतरा है।"