नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बार एसोसिएशन और वकील किसी जज के रोस्टर को बदलने के लिए मुख्य न्यायाधीश पर दबाव नहीं बना सकते। कोर्ट ने जयपुर बार एसोसिएशन द्वारा एक जज के बहिष्कार के आह्वान पर कड़ी आपत्ति जताते हुए यह टिप्पणी की है। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि जजों पर दबाव बनाने के बार संघों के प्रयासों को हम बर्दाश्त नहीं करेंगे। जस्टिस एमआर शाह और एएस बोपन्ना की पीठ उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें राजस्थान उच्च न्यायालय की जयपुर पीठ के बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों को हड़ताल के रूप में उच्च न्यायालय की एकल पीठ का बहिष्कार करने के लिए अवमानना नोटिस जारी किया था। पीठ ने कहा वकील एकल न्यायाधीश के रोस्टर बदलने के लिए आग्रह कैसे कर सकते हैं। कोई बार एसोसिएशन रोस्टर को बदलने के लिए मुख्य न्यायाधीश पर दबाव नहीं बना सकती। मुख्य न्यायाधीश मास्टर ऑफ रोस्टर हैं। वहीं इसे बदल सकते हैं। मामला जयपुर बार एसोसिएशन के जस्टिस सतीश कुमार शर्मा के कोर्ट के बहिष्कार से जुड़ा है। बहिष्कार का प्रस्ताव 27 सितंबर तब पारित किया गया था, जब न्यायाधीश ने एक वकील के लिए सुरक्षा की मांग वाली याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने से इनकार कर दिया था। एसोसिएशन ने मांग की कि जस्टिस शर्मा की पीठ से आपराधिक मामलों को हटाने के लिए रोस्टर को बदला जाए। इस मामले पर कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था। जयपुर बार एसोसिएशन ने कहा कि उस दिन कोई हड़ताल नहीं हुई थी। वह इस मामले में जवाब दाखिल करेगी। मामले की सुनवाई 16 नवंबर को होगी।
नेशन
बार एसोसिएशन को सुप्रीम कोर्ट की फटकार