नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को स्कॉटिश में कई देशों के नेताओं की उपस्थिति में आईआरआईएस ( इन्फ्रास्ट्रक्चर फॉर रेजिलिएंट आइलैंड स्टेट्स) का शुभारंभ करेंगे। जलवायु परिवर्तन से होने वाली आपदाओं के खिलाफ छोटे द्वीपीय देशों में महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को लचीला बनाने के लिए भारत की ओर से शुरू किए गए कार्यक्रम को लेकर एक बार फिर सीओपी26 की बैठक में चर्चा की उम्मीद है। 26वां संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन रविवार को स्कॉटिश शहर में शुरू हुआ। इस सम्मेलन में दुनिया भर के देशों के नेता हिस्सा ले रहे हैं, जो 12 नवंबर तक जारी रहेगा।
ग्लोबल वार्मिंग पर नियंत्रण के लिए ग्लासगो में दो हफ्ते तक चलने वाली इस बैठक में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन के साथ फिजी, जमैका और मॉरीशस के प्रधानमंत्रियों के भी भाग लेने की उम्मीद है। छोटे द्वीपीय राज्यों के लिए तैयार किया गया नया कार्यक्रम सीडीआरआई का हिस्सा है, जोकि साल 2019 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किया गया एक कार्यक्रम है।
कोरोना महामारी के चलते पिछले दो सालों से सीडीआरआई में बहुत कम काम किया जा सका है। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि आज होने वाले इस कार्यक्रम में आईआरआईएस को गति मिल सकती है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य कमल किशोर ने कहा कि छोटे देश जलवायु परिवर्तन के लिए सबसे अधिक संवेदनशील हैं। आपदा के समय ये देश सबसे बुरे प्रभावों का सामना करते हैं। ऐसे में इन देशों में बुनियादी ढांचे को और मजबूत करने की जरूरत है। उदाहरण के लिए, एक बड़े देश में 5 या 10 हवाई अड्डे होते हैं। ऐसे में यदि जलवायु आपदाओं में एक या दो क्षतिग्रस्त भी हो जाते हैं तो देश अपने देश में चलने वाले राहत और बचाव कार्यां को कहीं और मोड़कर इसे प्रबंधित कर सकता है।
लेकिन कई छोटे द्वीप देशों में सिर्फ एक ही हवाई पट्टी होती है। यदि यह क्षतिग्रस्त हो जाती है, तो देश दुनिया के बाकी हिस्सों से संपर्क खो देता है। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि ऐसे देशों में इन बुनियादी ढांचे को प्रकृति की अनियमितताओं से बचाया जाए। उन्हें क्लाइमेट प्रूफ होना चाहिए। यह बहुत अच्छा है कि सीडीआरआई का काम छोटे द्वीपीय राज्यों से शुरू हो रहा है। इन देशों को इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है और वे इस कार्यक्रम की योजना बनाने में सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को जी20 शिखर सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन सत्र में हिस्सा लिया। इस सम्मेलन में जी-20 समूह के नेताओं के बीच ग्लोबल वॉर्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस पर सीमित करने को लेकर सहमति बनी। दुनिया के 20 अमीर देशों के नेताओं के बीच हुई इस बैठक में कुछ ठोस कार्रवाई पर भी चर्चा की गई। हालांकि बैठक में शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन को प्राप्त करने के लिए साल 2050 तक की किसी तारीख के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई। वैज्ञानिकों का कहना है कि विनाशकारी जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए कार्बन उत्सर्जन को रोकना काफी महत्वपूर्ण है।
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पीएम मोदी सीओपी26 की बैठक में छोटे द्वीपीय देशों के बुनियादी ढांचे को मजबूत आधार देने पर जोर देंगे