
नई दिल्ली । कार्बन फुटप्रिंट को और कम करने के लिए, कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल), कोयला मंत्रालय ने हाल ही में अपनी खदानों में कोयले के परिवहन में लगे बड़े ट्रकों अर्थात डंपरों में तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) किट को फिर से लगाने की प्रक्रिया शुरू की है। दुनिया की सबसे बड़ी कोयला खनन कम्पनी सीआईएल 3500 करोड़ रुपये से अधिक की लागत के साथ प्रति वर्ष 4 लाख किलोलीटर डीजल का उपयोग करती है। कंपनी ने गेल (इंडिया) लिमिटेड और बीईएमएल लिमिटेड के सहयोग से गेल और बीईएमएल के साथ एक समझौता ज्ञापन के अपनी सहायक महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड (एमसीएल) में संचालित अपने 100 टन केदोडंपरों में एलएनजी किट को फिर से लगाने के लिए एक पायलट परियोजना शुरू की है। एक बार एलएनजी किट के सफलतापूर्वक पुन: फिट और परीक्षण के बाद, ये डंपर दोहरे ईंधन प्रणाली पर चलने में सक्षम होंगे और एलएनजी के उपयोग के साथ उनका संचालन काफी सस्ता और स्वच्छ होगा। सीआईएल के पास ओपनकास्ट कोयला खदानों में संचालित 2500 से अधिक डंपर हैं और बेड़े में सीआईएल द्वारा उपयोग किए जाने वाले कुल डीजल की लगभग 65 से 75 प्रतिशत खपत होती है। डीजल के उपयोग के स्थान पर एलएनजी के उपयोग को 30 से 40 प्रतिशत तक बदलने से ईंधन की लागत में लगभग 15 प्रतिशत की कमी आने की संभावना है, यदि डंपर सहित सभी भारी अर्थ मूविंग मशीनों को एलएनजी किट के साथ रेट्रोफिट किया जाता है, तो सालाना 500 करोड़ रुपये की बचत का मार्ग प्रशस्त होता है।