
नई दिल्ली । कोरोना के नए स्वरूप ओमिक्रॉन के खतरे और वैक्सीन की बूस्टर डोज के लिए बढ़ती मांग को देखते हुए देश की प्रमुख जीनोम सिक्वेंसिंग बॉडी अपने उस बयान से पीछे हट गई है, जिसमें उसने 40 साल से अधिक आयु वाले लोगों को बूस्टर खुराक दिए जाने की सिफारिश की थी। अब नए बुलेटिन में यह कहा गया है कि फिलहाल बूस्टर डोज के असर का पता लगाने के लिए और भी वैज्ञानिक शोध किए जाने की जरूरत है। अपने ताजा हेल्थ बुलेटिन में भारत के सार्स-कोव-2 कंजोर्टियम ऑन जीनोमिक्स ने कहा है कि बूस्टर डोज का जिक्र ज्यादा जोखिम वाली आबादी में वैक्सीन की अतिरिक्त खुराक की संभावित भूमिका को लेकर एक चर्चा भर थी और यह सुझाव भारत के टीकाकरण अभियान से जुड़ा नहीं था। इससे पहले 29 नवंबर को इनसेकागो ने अपने हेल्थ बुलेटिन में कहा था कि 40 साल या उससे अधिक उम्र वाले लोगों के लिए बूस्टर डोज पर विचार किया जा सकता है। हालांकि अब इनसेकागो ने कहा है कि बूस्टर डोज के प्रभावों के आंकलन के लिए अभी कई वैज्ञानिक शोध किए जाने की जरूरत है। इसने यह भी स्पष्ट किया कि वैक्सीन को लेकर सुझाव देने उसे अमल में लाने का काम नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन इम्यूनाइजेशन (एनटीजीएआई) और नेशनल एक्सपर्ट ग्रुप ऑन वैक्सीन एडमिनिस्ट्रेशन फॉर कोविड-19 (एनईजीवीएसी) के अंदर आता है।
गौरतलब है कि इनसेकागो का यह बयान स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया की तरफ से लोकसभा में दिए उस बयान के एक दिन बाद ही आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि बूस्टर खुराकों और बच्चों के लिए वैक्सीन पर फैसला वैज्ञानिक सलाह के आधार पर ही लिया जाएगा। उन्होंने कहा था कि टीकाकरण का लक्ष्य वैक्सीन की दूसरी डोज ज्यादा से ज्यादा लोगों को देना है। बता दें कि एनटीजीएआई अगले हफ्ते बूस्टर खुराक को लेकर बैठक कर सकता है। नीति आयोग के सदस्य डॉक्टर वीके पॉल ने हाल ही में कहा कि भले ही ओमिक्रॉन वैरिएंट नई चुनौती है लेकिन अभी भी कोरोना के खिलाफ जंग का सबसे अहम हथियार वैक्सीन की दोनों डोज लेना ही है।