
नई दिल्ली । गुजरात दंगों की जांच करने वाली एसआईटी की रिपोर्ट में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट को चुनौती देने वाली ज़किया जाफरी की याचिका सुनवाई के दौरान जकिया के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि तीस्ता का आधार इस मामले में सह याचिकाकर्ता का है। ज्ञात रहे कि एसआईटी और गुजरात सरकार ने तीस्ता को इस बात का जिम्मेदार ठहराया कि वे मामले की कड़ाही को उबलते रखना चाहती हैं। इसके लिए उन्होंने वो सब कुछ किया।
सिब्बल ने कहा कि तीस्ता की छवि बिगाड़ने की कोशिश की गई।जबकि तीस्ता ने अपना सारा करियर इन मुकदमों में चौपट कर लिया। सिब्बल ने कहा कि एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में कहीं भी उन सवालों के जवाब नहीं दिए जो उन सबूतों को लेकर थे, जिनसे पूरी रिपोर्ट ही उलट जाती है। वो सिर्फ ये कहते रहे कि तीस्ता लगातार नफरत और विवादों की कड़ाही को उबलते रहने के लिए काम कर रही थी।
जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सीटी रवि कुमार की पीठ के सामने इस मामले की सुनवाई चल रही है। इस मामले के तार अहमदाबाद की गुलबर्गा सोसायटी में सन 2002 के 28 फरवरी में हुए दंगों से जुड़े हैं।
यहां अपार्टमेंट में हुई आगजनी में कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी सहित 68 लोगों की मौत हो गई थी। एसआईटी ने दंगों की जांच की थी। जांच के बाद तब के गुजरात मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दे दी गई।
अहमदाबाद सहित गुजरात के कई शहरों कस्बों में दंगे भड़के थे। दो दिन पहले गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के डिब्बे में आग लगाई गई जिससे 59 लोग जिंदा जल गए थे। ये लोग अयोध्या से कारसेवा कर लौट रहे थे। दंगों के दस साल बाद 2012 में एसआईटी ने जांच रिपोर्ट दाखिल की।रिपोर्ट में नरेंद्र मोदी सहित 64 लोगों को क्लीन चिट दी गई थी। याचिका में इसी रिपोर्ट को चुनौती दी गई है और दंगों में बड़ी साजिश की जांच की मांग की गई है।