
नई दिल्ली । वैज्ञानिकों के एक दल ने गंगा नदी के निचले हिस्सों में पानी की गुणवत्ता को खतरनाक स्थिति में पाया है, जिन्होंने उस जगह के जल गुणवत्ता सूचकांक (डब्ल्यूक्यूआई) की जरूरी आधार रेखा विकसित की। वैज्ञानिकों के दल ने पानी की गुणवत्ता में लगातार गिरावट की सूचना दी। मनुष्य के तेजी से बढ़ते दबाव और मानवजनित गतिविधियों के परिणामस्वरूप गंगा नदी में अन्य प्रकार के प्रदूषकों के साथ-साथ नगरपालिका और औद्योगिक सीवेज के अशोधित कचरे को छोड़ दिया जाता है। कोलकाता जैसे महानगर के करीब,विशेष रूप से, गंगा नदी के निचले हिस्से, मानवजनित कारकों, मुख्यतः नदी के दोनों किनारों पर तीव्र जनसंख्या दबाव के कारण बहुत अधिक प्रभावित हैं। नतीजतन, गंगा नदी के निचले हिस्से में नगरपालिका और औद्योगिक सीवेज के अशोधित कचरे के बहने में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिसके परिणामस्वरूप अनेक अद्वितीय और जैव विविधता पारिस्थितिक तंत्र जैसे सुंदरबन मैनग्रोव और गंगा में रहने वाली लुप्तप्राय करिश्माई प्रजातियों जैसे डॉल्फिन के लिए खतरा उत्पन्न हो गया है।