
नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द ही कुवैत की यात्रा पर जा सकते हैं। खास बात यह है कि पिछले 40 सालों में देश के किसी प्रधानमंत्री की यह पहली कुवैत यात्रा होगी। बताया जाता है कि कुवैत जाने की पीएम मोदी की यह योजना पश्चिम एशिया के देशों से संबंध मजबूत करने और रणनीतिक साझेदारी को नए मुकाम पर ले जाने के प्रयासों का हिस्सा है।
उल्लेखनीय है कि तेल के लिहाज से कुवैत एक संपन्न देश है और भारत में तेल सप्लाई का एक अहम स्रोत भी है। बताया जाता है कि इस यात्रा के दौरान पीएम मोदी कुवैती निवेशकों को भारत आने का न्योता दे सकते हैं और इसके अलावा कुवैत से रक्षा सहयोग बढ़ाने की भी कोशिश रहेगी।
सूत्रों के अनुसार पीएम मोदी जनवरी के पहले हफ्ते में कुवैत की यात्रा पर जा सकते हैं। इससे पहले साल 2015 में पीएम ने अन्य 5 गल्फ देशों का दौरा किया था। उस वक्त पीएम मोदी कुवैत नही जा सके थे। कुवैत में लगभग दस लाख भारतीय रहते हैं। पीएम मोदी की इस यात्रा से दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों में मजबूती आएगी। भारत के कुवैत से प्रगाढ़ संबंध रहे हैं। जिस समय भारत कोरोना की दूसरी लहर से जूझ रहा था, उस समय कुवैत ने बड़ी संख्या में ऑक्सीजन सिलेंडर और अन्य स्वास्थ्य संबंधी उपकरण भेजकर भारत की सहायता की थी। इतना ही नहीं, कुवैत के सपोर्ट के लिए धन्यवाद कहने के लिए पीएम मोदी द्वारा कुवैती अमीर शेख नवफ अल-अहमद को लिखी चिट्ठी खुद विदेश मंत्री एस जयशंकर लेकर पहुंचे थे।
पीएम मोदी की इस यात्रा को लेकर यह भी कहा जा रहा है कि 2022 की शुरुआत में पीएम दुबई 2020 एक्सपो का दौरा करेंगे। संयुक्त अरब अमीरात के साथ-साथ कुवैत की यह यात्रा कई मायनों में अहम होने वाला है। अगस्त 2015 में क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान के निमंत्रण पर यूएई की अपनी पहली यात्रा के बाद से, पीएम मोदी की नजर पूरी तरह अबू धाबी के साथ संबंधों को मजबूत करने पर केंद्रित है। संयुक्त अरब अमीरात, अमेरिका और चीन के बाद भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है।