
नई दिल्ली । लोकसभा में शुक्रवार को वन्यजीव (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2021 पेश हुआ, इसमें 1972 के कानून में संशोधन करने का प्रस्ताव किया गया है, ताकि जीवों एवं प्रजातियों के संरक्षण की व्यवस्था को युक्तिसंगत बनाने एवं बेहतर देखरेख सुनिश्चित करने का प्रावधान हो सके। निचले सदन में विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने ‘वन्यजीव (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2021 पेश किया। इसदौरान कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और द्रमुक सहित विपक्षी दलों के सदस्य यूपी के लखीमपुर खीरी मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा को बर्खास्त करने की मांग करते हुए आसन के समीप आकर नारेबाजी कर रहे थे।
भारत संकटग्रस्त वन्य प्राणी एवं वनस्पति के अंतरराष्ट्रीय व्यापार समझौते का एक पक्षकार है जो यह अपेक्षा करता है कि समझौते के उपबंधों को प्रवृत करने के लिये समुचित उपाए किये जाएं,इसकारण अधिनियम के संशोधन का प्रस्ताव है। इस विधेयक के माध्यम से अधिनियम की उद्घोषणा में संशोधन करने की बात कही गई है जिससे वन्य जीवन के संरक्षण और प्रबंधन के परिप्रेक्ष्य को सम्मिलित किया जा सके। इसका मकसद विधेयक की अनुसूचियों को युक्तिसंगत बनाना है। इसमें कहा गया है कि भारत में संकटग्रस्त वन्य प्राणी एवं वनस्पति के अंतरराष्ट्रीय व्यापार समझौते के उपबंधों के उचित कार्यान्वयन के लिये नया अध्याय 5ख अंत:स्थापित किया गया है। इसमें संरक्षित क्षेत्रों के बेहतर प्रबंधन की बात कही गई है। इसमें एक स्पष्टीकरण अंत:स्थापित किया गया है जिससे यह उपबंध किया जा सके कि स्थानीय समुदायों द्वारा सद्भावनापूर्ण ढंग से पशुओं के चराने और आवागमन, पेयजल एवं घर में उपयोग किये जाने वाले जल जैसे कार्यकलाप अधिनियम की धारा 29 के तहत गैर निषेधकारी माना जायेगा।