
नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज उच्च स्तरीय समिति (एचएलसी) की पहली बैठक की अध्यक्षता की, जिसका गठन श्री अरबिंदो की 150वीं जयंती पर आयोजित किए जाने वाले स्मरणोत्सव के लिए किया गया है। एचएलसी की अधिसूचना 20 दिसंबर, 2021 को जारी की गई थी। समिति में विभिन्न क्षेत्रों के 53 सदस्य शामिल हैं। संस्कृति सचिव श्री गोविंद मोहन ने स्मृति समारोह के लिए कार्य योजना पर एक प्रस्तुति दी और सम्मानित सदस्यों से श्री अरबिंदो की 150वीं वर्षगांठ को उचित तरीके से मनाने के लिए परामर्श मांगा। प्रधानमंत्री ने श्री अरबिंदो के स्मृति उत्सव पर अपने बहुमूल्य विचारों और सुझावों के लिए सम्मानित सदस्यों का आभार व्यक्त किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि श्री अरबिंदो के 'क्रांति' और 'विकास' के दर्शन के दो पहलू विशेष महत्व रखते हैं और स्मृति उत्सव के हिस्से के रूप में इस पर बल दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि युवाओं को श्री अरबिंदो द्वारा प्रतिपादित महामानव बनाने के लिए नर से नारायण के दर्शन में समाहित महानता की अवधारणा के अनुरूप प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया के आध्यात्मिक गुरु के रूप में भारत की विश्व भर के देशों में आध्यात्मिक योगदान करने की जिम्मेदारी है। उन्होंने सुझाव दिया कि देश भर के 150 विश्वविद्यालयों को श्री अरबिंदो के जीवन और दर्शन के विभिन्न पहलुओं पर लेख लिखने के लिए शामिल करना चाहिए और इस अवसर पर 150 लेखों को प्रकाशित करना चाहिये। प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर पुद्दुचेरी से श्री अरबिंदो के स्मृति उत्सव समारोह की शुरुआत करने का प्रस्ताव रखा। यह युवाओं को पुद्दुचेरी जाने और उनके जीवन और शिक्षाओं के बारे में जानने के लिए प्रोत्साहित करेगा, जहां श्री अरबिंदो ने 1910 से 1950 तक अपना जीवन व्यतीत किया था। प्रधानमंत्री ने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में श्री अरबिंदो जी के शिष्य रहे श्री किरीट जोशी के साथ अपनी चर्चाओं और विचार-विमर्शों को याद किया। उन्होंने कहा कि इन चर्चाओं ने उन्हें श्री अरबिंदो के विचारों से समृद्ध किया, जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति तैयार करने पर काम करते समय गहराई से परिलक्षित हुए। प्रधानमंत्री ने कहा कि श्री अरबिंदो के बारे में श्री किरीट जोशी के साहित्य को दुनिया भर में व्यापक रूप से प्रसारित किया जाना चाहिए।