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 मसूड़ों की बीमारी दांतों और ‎दिल को पहुंचाती है नुकसान - मनोविकार का बन सकती हैं कारक भी 

 मसूड़ों की बीमारी दांतों और ‎दिल को पहुंचाती है नुकसान - मनोविकार का बन सकती हैं कारक भी 

बर्मिंघम । अगर मसूड़ों की बीमारियों का यदि सही इलाज नहीं हो तो यह न सिर्फ आपके दांतों को नुकसान पहुंचाती है, बल्कि दिल की गंभीर बीमारियों के साथ ही मनोविकार का कारक भी बन सकती हैं। यह दावा ‎किया गया है यूके की यूनिवर्सिटी ऑफ बर्मिंघम में हुए अध्ययन में। इसके लिए रिसर्चर्स ने 64 हजार 379 ऐसे मरीजों के रिकॉर्ड की स्टडी की जिन्हें जिंजीवाइटिस और पेरिओडांटिस जैसी मसूड़ों की बीमारियां थी। 
पेरिओडांटिस वैसी स्थिति होती है, जब मसूड़ों से संबंधित बीमारियों का इलाज नहीं किए जाने से दांतों को नुकसान होने लगता है। इनमें से 60 हजार 995 को जिंजीवाइटिस और 3384 को परिओडांटिस की बीमारी थी। इन रोगियों के रिकॉर्डों की तुलना 2 लाख 51 हजार 161 ऐसे अन्य रोगियों के रिकार्डों से की गई, जिन्हें पेरिओडांटिस की बीमारी नहीं थी। इस सैंपल डाटा के आधार पर रिसर्चर्स ने ये पता करने की कोशिश की कि कितने ऐसे लोग रहे, जिन्हें पेरिओडांटिस नहीं थी, लेकिन हार्ट फेल्यर, स्ट्रोक जैसे कार्डियोवस्कुलर डिजीज, कार्डियो मेटाबॉलिक डिजीज , अर्थराइटिस, टाइप -1 डायबिटीज, सोराइसिस और अवसाद, बेचैनी समेत अन्य गंभीर मानसिक रोगों का सामना करना पड़ा। रिसर्चर्स ने पाया कि जो रोगी पेरिओडांटिस से पीड़ित थे, वे तीन साल के भीतर दी गई बीमारियों में से कम से कम एक बीमारी से या तो पीड़ित हुए या उसके बहुत ज्यादा जोखिम की ओर बढ़ चले थे। 
आंकड़ों के विश्लेषण में पाया गया कि जिन्हें स्टडी शुरू होने के समय पेरिओडांटिस की शिकायत थी, उनमें मनोविकार होने का खतरा 37 प्रतिशत ज्यादा था। जबकि अर्थराइटिस, टाइप-1 डायबिटीज जैसे ऑटोइम्यून रोगों का खतरा 33 प्रतिशत, कार्डिवस्कुलर डिजी का खतरा 18 प्रतिशथ और कार्डियो मेटाबोलिक विकार संबंधी रोगों का खतरा सात प्रतिशत था। इनमें भी सबसे ज्यादा 26 प्रतिशत खतरा डायबिटीज टाइप 2 होने का रहा। स्टडी के फर्स्ट को-राइटर और यूनिवर्सिटी ऑफ बर्मिंघम के इंस्टीट्यूट ऑफ एप्लाइड हेल्थ रिसर्च  के डॉ जोहट सिंह चंदन  के अनुसार, मुंह की हेल्थ की अनदेखी बहुत आम बात है, लेकिन जब रोग बढ़ जाता है तो जीवन बड़ा कठिन हो जाता है। लेकिन मुंह की हेल्थ की उचित देखभाल नहीं होने से उससे कई क्रॉनिक बीमारियों खासकर मनोविकार को लेकर ध्यान नहीं दिया गया। इनके बीच क्या संबंध रहे, उसके बारे में भी कोई व्यापक स्टडी नहीं की गई है। 
इसलिए हमने मसूड़ों की बीमारी पेरिओडांटल का कई क्रॉनिक डिजीज के साथ संबंध स्थापित करने के लिए डाटा का तुलनात्मक विश्लेषण किया। इसमें हमने पाया कि पेरिओडांटल बीमारी का संबंध उन क्रॉनिक डिजी के बढ़े खतरों से है। क्योंकि पेरिओडांटल बीमारियां बहुत ही सामान्य हैं, इसलिए उनसे जुड़ी क्रॉनिक बीमारियों को सार्वजिनक हेल्थ के लिए बड़ी समस्या के रूप में देखा जाना चाहिए। 
 

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