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सिर दर्द को हल्के में न लें  

सिर दर्द को हल्के में न लें  


सिर में दर्द एक आम बीमारी हो सकती है, लेकिन कई बार इसे हल्के में लेना सिरदर्द बढ़ा सकता है। लंबे समय तक सिरदर्द की समस्या है तो विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। यह माइग्रेन, ट्यूमर या नर्वस सिस्टम से जुड़ी दूसरी बीमारी भी हो सकती है। कभी-कभी ज्यादा दिनों तक सिरदर्द से संवेदी अंगों पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है, जिससे इनकी कार्यक्षमता भी प्रभावित हो जाती है। सिरदर्द को लेकर भ्रम की स्थिति में बिलकुल न रहें।
पेट में बहुत दर्द होता है, झनझनाहट होती है। इसकी वजह से पैर में भी दर्द बना रहता है। खड़े रहने में समस्या होती है। चप्पल पहनने में भी समस्या होती है।
ऐसे में विशेषज्ञ कहते हैं कि यह लंबर स्पॉन्डिलाइटिस के लक्षण हो सकते हैं। एमआरआई और कुछ ब्लड टेस्ट से इसकी जांच करवाई जा सकती है। प्राथमिक स्थिति में इसे दवाओं से ठीक किया जा सकता है। कुछ व्यायाम के जरिए मांसपेशियों को स्थिर अवस्था में लाया जाता है। गंभीर स्थिति में ऑपरेशन से ही इसका उपचार संभव है। इस अवस्था में भारी वजन उठाने से बचना चाहिए, आगे की ओर ज्यादा झुकना नहीं चाहिए। कड़े बेड पर सोने और तेज दौड़ने से भी परहेज करना चाहिए। 
गर्दन में दर्द होता है, चक्कर भी आते हैं और हाथों में झनझनाहट बढ़ जाती है। कभी-कभी ऐसा लगता है कि इनमें सुन्नपन आ गया है। इससे कामकाज करने में समस्या होती है। लघु शंका की स्थिति में यह महसूस भी नहीं होती है और इसकी वजह से असहज स्थिति का सामना करना पड़ जाता है। 
सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस के लक्षण हैं। जब यह स्थिति गंभीर होती है तो तंत्रिका तंत्र को भी नुकसान होता है। इससे संवेदी अंगों की क्षमता का भी ह्रास होता है। इस स्थिति में घबराने की बात नहीं है। ऑपरेशन के जरिए इसे ठीक किया जा सकता है। सरकारी हॉस्पिटल्स में बहुत कम कीमत पर उपचार संभव है। गर्दन पर अधिक भार देने से बचें, तकिया लगाती हैं तो वह भी छोड़ दें। डॉक्टर की सलाह पर उपचार करवाएं। 
सिरदर्द की शिकायत है। इसकी वजह से चिड़चिड़ापन बढ़ गया है। आंखों की क्षमता भी प्रभावित हुई है, नाक से भी पानी आ रहा है। बोलने में दिक्कत और कभी झटके भी आते हैं।
यह लक्षण ब्रेन ट्यूमर के हो सकते हैं, इसके लिए किसी न्यूरो सर्जन को दिखाकर उपचार करवाएं। ट्यूमर से घबराने की जरूरत नहीं है। इसका उपचार किया जा सकता है। जिस हिस्से में ट्यूमर होता है, उस क्षेत्र से संबंधित अंगों पर प्रभाव पड़ता है। आंखों की दृश्यता संभवत: इसी वजह से प्रभावित हो रही है। ऑपरेशन से इसका उपचार संभव है। 
 

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