
नई दिल्ली । देश के महान नायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर राजनीतिक सरगर्मी तेज है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में घोषणा की है कि 23 जनवरी से नेताजी की जयंती के दिन से गणतंत्र दिवस समारोह का आयोजन शुरू होगा। इसके बाद सभी राजनीतिक पार्टियां अपने-अपने तरह से नेताजी के नाम को भुनाने की कोशिश में लगी हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नरेंद्र मोदी सरकार से मांग की है, कि नेताजी की जयंती के दिन राष्ट्रीय अवकाश घोषित करे। ममता ने कहा है कि पूरे देश के लोग अपने महान राष्ट्रनायक को श्रद्धांजलि दें, इसके लिए जरूरी है कि नेताजी जन्मदिवस के दिन राष्ट्रीय छुट्टी घोषित की जाएं। उन्होंने कहा कि अपने नेताजी को सच्ची श्रद्धांजलि देने का सबसे बेहतर तरीका यह होगा इस दिन को देशनायक दिवस के रूप में मनाकर इस दिन पूरे देश में छुट्टी हो।
शनिवार को नेताजी को श्रद्धांजलि अर्पित करने के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रैली का आयोजन किया था। इसमें तृणमूल कांग्रेस के अनेक नेता, विधायक सहित सैकड़ों लोग शामिल हुए। इससे पहले सवा बारह बजे सायरन भी बजाया गया, 23 जनवरी 1897 को इसी समय बोस का जन्म हुआ था। रैली को संबोधित करते हुए ममता बनर्जी ने कहा, हम सिर्फ चुनाव के समय नेताजी की जयंती नहीं मनाते।इस बार हम उनकी 125वीं जयंती बहुत बड़े पैमाने पर मना रहे हैं।रवीन्द्रनाथ टैगोर ने नेताजी को देशनायक बताया था।इसलिए हमने इस दिन को देशनायक दिवस बनाने का फैसला किया है।
इधर, दिल्ली के इंडिया गेट पर ‘नेताजी’ की प्रतिमा स्थापित करने के मोदी सरकार के फैसले से सुभाष चंद्र बोस का परिवार खुश है।नेताजी की बेटी अनिता बोस फाफ ने कहा है कि सुभाष चंद्र बोस भारतीयों के दिलों में रहते थे और रहते हैं, वे आगे भी देश के लोगों के दिलों में रहने वाले है। लेकिन तृणमूल कांग्रेस ने नेताजी की प्रतिमा के बहाने भाजपा पर तंज कसा है।पार्टी ने नेताजी की प्रतिमा लगाने के केंद्र के फैसले का स्वागत किया है, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि गणतंत्र दिवस परेड के लिए राष्ट्रवादी नेता बोस पर आधारित पश्चिम बंगाल की झांकी को खारिज किए जाने के बाद हो रही आलोचना का मुकाबला करने के लिए यह कदम उठाया है।