
नई दिल्ली । दुनिया भर में कोरोना की तीसरी लहर का कहर जारी है, लेकिन हमारे लिए सुकून की बात यह है कि इस बार कोविड पहली या दूसरी लहर की तुलना में कम घातक है।ताजा अध्ययन में पता चला है कि इस बार कोरोना पीड़ित चार में से एक से भी कम मरीजों को ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत पड़ी। कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान संक्रमित अधिकांश लोगों को ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत पड़ती थी। पिछले साल अप्रैल में ऑक्सीजन के लिए पूरे देश में हाहाकार मच गया था और अस्पतालों में हजारों लोगों की जान सिर्फ इसलिए चली गई थी क्योंकि उन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट नहीं मिला पाया था। डाटा विश्लेषण के आधार पर कहा है कि पिछले साल अप्रैल से मई के दौरान कोरोना संक्रमित चार में से तीन व्यक्ति को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी थी।पहली लहर के दौरान जितने लोगों को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा, उनमें से 63 प्रतिशत मरीजों को ऑक्सीजन सपोर्ट दिया गया था जबकि पिछले साल दूसरी लहर के दौरान 74 प्रतिशत मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी थी। पहली और दूसरी लहर से तुलना में इसबार सिर्फ 23.4 प्रतिशत मरीजों को ही ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत पड़ रही है।
हालांकि इस बार भी संक्रमित लोगों की संख्या उतनी ही है लेकिन अस्पताल में भर्ती होने वाले लोगों की संख्या पहली और दूसरी लहर की तुलना में बहुत कम है। ओमिक्रॉन वेरिएंट अपेक्षाकृत कम घातक है और इस वेरिएंट से संक्रमित मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने और ऑक्सीजन व आईसीयू बेड्स की जरुरत कम होती है। वहीं कोरोना की पहली लहर में मृत्यु दर का आंकड़ा 7.2 फीसदी रहा जो कि दूसरी लहर में बढ़कर 10.5 प्रतिशत हो गया। जबकि मौजूदा लहर में यह आंकड़ा 6 फीसदी दर्ज किया गया है।देश में बड़ी आबादी का कोरोना वैक्सीनेशन होने के कारण मौत के आंकड़ों में कमी आई है।एक डाटा के अनुसार मौजूदा लहर में कोविड-19 से हुई कुल 82 मौतों में से 60 फीसदी मौतें उन लोगों की हुई जिनका आंशिक टीकाकरण या वैक्सीनेशन नहीं हुआ था।