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(चिंतन-मनन) जीवन निर्भरता और आत्म -निर्भरता का संयोग है 

(चिंतन-मनन) जीवन निर्भरता और आत्म -निर्भरता का संयोग है 

जीवन में सम्पूर्ण आत्म निर्भरता जैसा कुछ नहीं है। इसे भूल जाओ। यदि आप सोचते हो कि मैं पूर्ण रूप से आत्मनिर्भर हो जाऊं तो ऐसा नहीं होगा। 15, 16 या 17 साल की आयु तक आप आत्मनिर्भर नहीं थे। आप आश्रित ही पैदा हुए थे। आप अपने आप उठ भी नहीं सकते थे, और कोई और आपको उठाता था। कोई आपके डायपर बदलता था। कोई आपको नहलाता था। कोई खिलाता था। कोई सुलाता था। आप एक आश्रित ही पैदा हुए थे और अंत में भी आश्रित ही रहोगे। जब आपकी मृत्यु हो जाती है तो आप अपने शरीर को अपने आप नहीं जला या दफना सकते। जब आप बीमार होते हो किसी को आपका ध्यान रखना होता है। आप अपने डाक्टर नहीं बन सकते। 50-60 वर्ष की आयु के बाद यह बिलकुल स्पष्ट हो जाता है कि आप किसी पर निभर होते हो।  
किसी हद तक आप नहीं कह सकते कि, "मैं पूरी तरह से आत्म निर्भर हूँ"। आपको किसी ना किसी की सहायता लेनी ही पड़ती है। अच्छा, फिर यह भी धारणा है कि आप पैसे से आत्मनिर्भर बनते हो। हमें अपनी ज़रुरत पूरा करने के लिए कुछ पैसा चाहिए, पर मान लो कोई भी आपके लिए कार्य करना न चाहे, तो आपका क्या होगा? आपकी धारणा गलत है कि पैसा आपको आत्मनिर्भर बनाता है। पर इसके साथ साथ आप अपने आप को आत्मनिर्भर मान सकते हो, आप अपने कार्यों के लिए स्वतंत्र हो, आप अपनी भावनायों को नियंत्रित करने के लिए मुक्त हो, यदि आप अच्छा महसूस करना चाहते हो तो यह आपके अपने हाथ में हैं। यदि आप अच्छा महसूस नहीं करना चाहते तो यह भी आपके अपने हाथों में हैं।  
आपको अष्टवप्र गीता सुननी चाहिए। जीवन निर्भरता और आत्म -निर्भरता का संयोग है। यदि आप दयालु होना चाहते हो, तो आपको पूरी स्वतंत्रता है ऐसा बनने की। यदि आप चाहते हो आपका शिष्टाचार अच्छा हो,आप मीठे बोल बोलो तो यह पूर्ण रूप से आपके उपर निर्भर करता है। आप सोच सकते हो वित्तीय रूप से आप स्वतंत्र हो परन्तु मैं आपको बता देना चाहूँगा यदि आप अपने मित्रों, परिवारजनों यां और भी किसी के अपमानजनक शब्द सहन कर लेते हो तो आप स्वतंत्र हो। यदि आपको कोई दोष देता है और आपके लिए बुरा भला कहता है, आप इसे किस तरह से लेते हो यही निर्धारित करता है कि आप कितने स्वतंत्र हो। यदि आप वास्तव में मुक्त हो तो कोई भी आपको परेशान नहीं कर सकता। आप उत्साह से, द्रष्टा बन कर और मुस्कान के साथ आगे बढ़ सकते हो।  
 

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