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लगातार बढ़ रहा है कांग्रेस का कुनबा!

लगातार बढ़ रहा है कांग्रेस का कुनबा!

चुनाव के लिए नामांकन शुरू हो चुके है।राजनीतिक पार्टियां भी आए दिन अपने प्रत्याशियों के नामो की सूची जारी कर रही है।इसी बीच दलबदल का काम भी जारी है।भाजपा के हरक सिंह रावत अपनी पुत्रवधू अनुकृति गौसाई को लेकर कांग्रेस में आ गए है।उन्हें कांग्रेस में एंट्री के लिए माफी मांगने से लेकर 5 दिनों तक का लंबा इंतजार भी करना पड़ा।वही विधायक ओम गोपाल भी कांग्रेस से आन मिले है।शायद इसी लिए कांग्रेस प्रत्याशी चयन में देरी हुई।कांग्रेस का ‘तीन तिगाड़ा काम बिगाड़ा', थीम सॉन्ग भी जलवा बिखेर रहा है और भाजपा को घेरने में लगा है।कांग्रेस इस थीम सॉन्ग के माध्यम से उत्तराखंड में भाजपा की नाकामियों को हवा देने की कोशिश कर रही है।कांग्रेस ने  दावा किया है कि आगामी चुनावों में भाजपा को पराजित किया जाएगा।कांग्रेस ने इस थीम सॉन्ग जारी किये जाने के अवसर पर अपनी एकजुटता प्रदर्शित भी की है।जिसमे'डबल इंजन' नीति की 'नाकामियों' को उजागर किया गया है। उत्तराखंड और केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा यह दावा करती रही है कि उसका 'डबल इंजन' मॉडल राज्य के विकास के लिए फायदेमंद रहा है। 'तीन तिगाड़ा, काम बिगाड़ा' सूत्र वाक्य के साथ कांग्रेस का थीम सॉन्ग राज्य में भाजपा द्वारा तीन बार अपना मुख्यमंत्री बदलने की ओर जनता का ध्यान आकृष्ट कराता है।'
 कांग्रेस के 'थीम सॉन्ग' में भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा गया है और 'डबल इंजन' नीति की 'नाकामियों' को उजागर किया गया है।उत्तराखंड और केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी यह दावा करती रही है कि उसका 'डबल इंजन' मॉडल राज्य के विकास के लिए फायदेमंद रहा है। 'तीन तिगाड़ा, काम बिगाड़ा' सूत्र वाक्य के साथ कांग्रेस का थीम सॉन्ग राज्य में बीजेपी द्वारा तीन बार अपना मुख्यमंत्री बदलने की ओर ध्यान आकृष्ट कराता है।
कांग्रेस ने गीत में यह भी दावा किया है कि आगामी चुनावों में बीजेपी को पराजित किया जाएगा। कांग्रेस की प्रदेश इकाई ने थीम सॉन्ग जारी किये जाने के अवसर पर अपनी एकजुटता प्रदर्शित की। उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने प्रदेश इकाई में गुटबंदी और कलह को लेकर सार्वजनिक रूप से अपनी ही पार्टी की आलोचना की थी।पूर्व मुख्यमंत्री
हरीश रावत ने गीत जारी किये जाने के बाद कहा, ''लोग उत्तराखंड में बदलाव चाहते हैं और वे खुलकर ऐसा कह रहे हैं।'' यह पूछे जाने पर कि राज्य में कांग्रेस का चेहरा कौन होगा, उन्होंने कहा, ''लोग चेहरा होंगे और लोग स्पष्ट रूप से बदलाव करने की बात कह रहे हैं।'' हरीश रावत ने कहा कि थीम सॉन्ग 2022 के चुनावों के महत्व को बयान करता है और राज्य में बदलाव का आह्वान करता है। उन्होंने कहा, ''आज, हम ना सिर्फ सत्ता बदलने की, बल्कि लोकतंत्र की रक्षा करने भी मांग कर रहे हैं, ताकि विकास की अवधारणा के लिए लड़ाई लड़ी जाए। जिसे विकृत कर दिया गया है। उत्तराखंड में कांग्रेस के चुनाव प्रचार अभियान समिति के अध्यक्ष हरीश रावत ने कहा कि हटाये गये मुख्यमंत्रियों में एक वित्त मंत्री के तौर पर राज्य का बजट का संचालन कर रहे थे और उन्हें बदल दिया गया। उन्होंने कहा, ''यह संसदीय परंपरा का अपमान है और लोगों को नहीं बताया गया कि उन्हें क्यों बदला गया। केदारनाथ आपदा से निपटने में नाकामी को लेकर सन 2013 में मुख्यमंत्री बदले गये थे।'' रावत ने कहा, ''राज्य में डबल इंजन शासन नाकाम हो गया।दूसरा मुख्यमंत्री क्यों नियुक्त किया गया,यह आज तक एक रहस्य बना हुआ है। केवल दो लोग, प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री जानते हैं कि यह क्या रहस्य है?जिससे उत्तराखंड स्वयं को अपमानित महसूस कर रहा है।'' उन्होंने यह भी कहा कि उत्तराखंड में देश में कोविड से सर्वाधिक मृत्यु दर रही है और भाजपा सरकार ने कोविड संकट का कुप्रबंधन किया।जिसके चलते कोविड जांच घोटाला तक हुआ है।दरअसल तीन तिगाड़ा काम बिगाड़ा,ये नारा एक आईना है जिस आईने में हम पिछले 5 वर्ष रही सरकार के जन विरोधी चेहरे को देखते हैं। हमारी सरकार ने मलिन बस्तियों के समग्र विकास को ध्यान में रखकर मलिन बस्तियों से ही उठकर आगे आये विधायक राजकुमार की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई, जिसमें  तिलकराज बेहड़  के स्तर के लोगों को भी जोड़ा गया था। इस कमेटी ने राज्य में सभी हिस्सों का दौरा कर एक व्यापक रिपोर्ट सारे मलिन बस्तियों की गणना कर बनाई। जिसको आधार बनाकर हमने 3 कदम तत्काल उठाये। पहला 35 हजार घर बनाने का एक प्रोजेक्ट जिसमें प्रधानमंत्री आवास योजना को समाहित करते हुए बनाई। इस योजना की खासियत यह थी कि आवास पाने वाले को बहुत कम पैसा लंबी किस्त के रूप में अदा करना पड़ता था। इस परियोजना का शिलान्यास मैंने रुद्रपुर में किया और इसी योजना के तहत एम.डी.डी.ए. को भी हमने कुछ भूमि देकर आवासीय भवन बनाने का दायित्व सौंपा जो उन्होंने निष्ठा से पूरा किया और यह आवासीय भवन निम्न मध्यम वर्ग को ध्यान में रखकर बनाए। दूसरा काम हमने रिवरफ्रंट डेवलपमेंट का प्रारंभ किया और काम रिस्पना नदी में ब्रह्मपुरी के आस-पास से प्रारंभिक प्रतिरोध के बाद हम लोगों को समझाने में सफल हुए और लोगों ने रिवरफ्रंट डेवलपमेंट का काम को आगे बढ़ने दिया जो लगभग रिंग रोड तक पहूँच गया, कुछ किलोमीटर तक ही कांग्रेस शासक इस काम को आगे बढ़ा पाये, तब तक सरकार में परिवर्तन हो गया और यह काम अवरुद्ध हो गया। कांग्रेस ने मलिन बस्तियों का सांख्यिकीयकरण कर उनको नियमितीकृत किये जाने किए जाने का कानून विधानसभा में पारित करवाया। ताकि उन पर अवैध कब्जेदारी का टैग हट जाए और वो कानून सम्वत तरीके से जहाँ पर वो रह रहे हैं और सरकार की सहमति से उस स्थान पर या उससे कुछ हटकर दूसरे स्थान पर अपना मकान बनाकर उसके मालिक बन सकें। इस तरीके से एक तो राज्य के अंदर आवास हीनता की प्रॉब्लम को हल हुई और रिवरफ्रंट के जरिये भविष्य के लिए नदियों की खोह में अवैध कब्जे को रोक देंने की सोच बनी और साथ ही जमीन का मालिकाना हक़ देकर और कुछ जमीनों को निकालकर उसको डेवलप कर  वैकल्पिक मार्ग भी शहरों के अंदर बनाने की बात रही और उसके अलावा  छोटे-छोटे मार्केट, काम्प्लेक्स, पार्क आदि भी डेवलप करने की कार्ययोजना बनाई गई। सपना पूरा हो पाता उससे पहले ही  कांग्रेस सरकार चली गई, ये तीनों सोच पूरी तरीके से धराशायी हो गयी।  भाजपा सरकार  मलिन बस्तियों को कोर्ट का नाम लेकर उजाड़ने में तुली थी। खैर प्रतिरोध और कांग्रेस द्वारा पारित कानून को देखकर सरकार ने अपने हाथ पीछे खींच लिए। क्योंकि जो कानून विधानसभा में पारित था, या तो उसको निरस्त करना पड़ता और जब तक वो निरस्त नहीं होता, तब तक वो कानून प्रभावी माना जाता। कानून के रहते राज्य सरकार मलिन बस्तियों का ध्वस्तीकरण नहीं कर सकती थी। इसीलिये कांग्रेस कहती हैं, 
    "तीन तिगाड़ा-काम बिगाड़ा, 
       अब उत्तराखंड में नहीं आएगी, भाजपा दोबारा"।
कांग्रेस अपनी पहली लिस्ट में 45 से 50 सीटों के उम्मीदवार घोषित कर सकती है। पार्टी में इन सीटों पर पूर्व सीएम हरीश रावत, प्रदेश अध्यक्ष गोदियाल और नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह के बीच कोई विरोध नहीं है। इन सीटों पर प्रस्तावित नामों पर तीनों ही नेता सहमत है। बाकी 20 से 25 सीट पर कुछ मतभेद है तो कुछ जगह नए लोगों के कांग्रेस में शामिल होने की वजह से टिकट पर दोबारा से पुनर्विचार होना है।कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी के अध्यक्ष अविनाश पांडे  का कहना है कि उत्तराखंड में कांग्रेस पूरी तरह तैयार है। साथ ही, एक हफ़्ते के अंदर उत्तराखंड कांग्रेस की पहली लिस्ट आ सकती है। उत्तराखंड में 70 सीटों पर चुनाव होने हैं, जहां पार्टी की चयन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है।कैंडिडेट सलेक्शन के लिए उन्होंने पांच दिन का उत्तराखंड दौरा किया था और 70 विधानसभा सीटों पर जितने भी उम्मीदवार थे, उन सबसे मुलाकात की थी।उन्होंने माना कि अगर कांग्रेस को सरकार बनानी है, तो चुनाव जीत सकने वाले कैंडिडेट को टिकट देनी पड़ेगी।उत्तराखंड की 70 विधानसभा सीटों पर 14 फरवरी को मतदान कराया जाएगा।10 मार्च को मतों की गिनती की जाएगी। अधिसूचना जारी करने की तिथि 21 जनवरी है।जबकि नामांकन की आखिरी तिथि 28 जनवरी है, नामांकन पत्रों की जांच की आखिरी तिथि 29 जनवरी और नाम वापस लेने की आखिरी तिथि 31 जनवरी है।
70 सीटों वाली उत्तराखंड विधानसभा का कार्यकाल 23 मार्च सन 2022 को खत्म हो रहा है। भाजपा के लिए उत्तराखंड चुनाव सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण बना हुआ है, क्योंकि यहां दो दशक से हर पांच साल पर सत्ता बदलने की परंपरा चली आ रही है। ऐसे में कांग्रेस को पूरी उम्मीद  है कि वह इस बार सत्ता में वापस आएगी।सन 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में, उत्तराखंड में भाजपा ने 57 सीटें जीतीं थीं और कांग्रेस को 11 सीटें ही मिल पाई थीं।भाजपा के खिलाफ वोट की चोट करके महंगाई, बेरोजगारी, किसानों और महिलाओं पर अत्याचार को पराजित करने की मुहिम कांग्रेस ने शुरू की है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने उम्मीद जताई कि उत्तराखंड में कांग्रेस की जीत इस बार सुनिश्चित होगी। उन्होंने कहा कि ‘‘उत्तराखंड में कांग्रेस का हर कार्यकर्ता मजबूती से लड़ेगा और भाजपा को पटखनी देगा ।जिससे उत्तराखंड में कांग्रेस का झंडा  लहराएगा और अपनी सरकार बनाएगा ।'
गोविंद वल्लभ पंत, हेमवंती नंदन बहुगुणा, नारायण दत्त तिवारी जैसे दिग्गज नेताओं की समृद्ध विरासत वाली कांग्रेस के लिए उत्तराखंड के लिए सियासी उपजाऊ जमीन रही है। हालांकि कांग्रेस देश के दूसरे हिस्सों की तरह ही आपात काल के बाद कुछ वर्षों के लिए हाशिए पर चली गई थी, लेकिन फिर उसने नवगठित राज्य में जड़ जमा ली थी। आलम यह था कि गठन के बाद भाजपा की अंतरिम सरकार के बाद तत्काल हुए चुनाव में पार्टी ने विधानसभा चुनावों में बाजी मार ली थी। सन 2002 में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हरीश रावत के नेतृत्व में कांग्रेस के 36 विधायक जीतकर आए थे। इसके बाद हरीश रावत को मुख्यमंत्री के रूप में देखने के लिए विधायकों ने हस्ताक्षर अभियान तक चलाया था। लेकिन बाद में  मुख्यमंत्री की कुर्सी पर एनडी तिवारी विराजमान हो गए थे।एनडी तिवारी ने पूरे पांच साल सरकार चलाई। कांग्रेस ने हरीश रावत को राज्यसभा भेज दिया था। वर्ष 2022 के चुनाव में कांग्रेस एक फिर केंद्र और राज्य के सत्तारोधी रुझान के दम पर चुनावी नैया पार लगाने के लिए एडी चोटी का जोर लगा रही है। महंगाई, बेरोजगारी, पलायन, गैरसैंण, देवस्थानम बोर्ड और भू-कानून कांग्रेस के मुख्य चुनावी हथियार हैं। वर्ष 2017 के विस चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने अपना सबसे खराब प्रदर्शन किया था। पार्टी मात्र 11 सीटों पर सिमटकर रह गई थी।जबकि
नौ नवंबर सन 2000 को राज्य गठन के दौरान उत्तराखंड में अंतरिम विधानसभा में 30 सदस्य थे। इनमें यूपी के समय चुने हुए 22 विधायक और आठ विधान परिषद सदस्य थे। 22 विधायकों में 17 भाजपा के, एक तिवारी कांग्रेस का, एक बसपा और तीन समाजवादी पार्टी के थे।उस समय कांग्रेस का एक भी विधायक नहीं था।फिर भी मात्र दो वर्ष बाद ही 36 विधायक कांग्रेस के हो जाना किसी चमत्कार से कम नही था।इस बार क्या चमत्कार होगा यह देखना अभी बाकी है,फिलहाल कांग्रेस सन 2022 के इस चुनाव को हर हाल में जीतना चाहती है। 
 (लेखक-डॉ श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट )

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