
नई दिल्ली । महंगाई को लेकर कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला। सोमवार को उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार पर यूपी की योगी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि महंगाई 'डायन' अब 'घर जमाई' बन गई है। सुरजेवाला एक किताब से विमोचन पर पत्रकारों के साथ बात कर रहे थे। उन्होंने महंगाई से मुक्ति के लिए भाजपा की सरकार से मुक्ति पाने का अनुरोध किया। सुरजेवाला ने सोमवार को यहां कांग्रेस प्रदेश मुख्यालय में 'महा महंगाई, भाजपा लाई' पुस्तक का लोकार्पण किया। इस दौरान पत्रकारों से बातचीत में 2014 में कांग्रेस सरकार और सात वर्षों में बढ़ी महंगाई का फर्क समझाते हुए कहा कि ''जो डायन महंगाई है, वह मोदी-योगी सरकारों में घर जमाई बन गई है।'' उन्होंने भाजपा नीत सरकारों पर प्रहार करते हुए दावा किया, ''एक तरफ देश के लोगों को महंगाई की आग में झोंक दिए तो दूसरी तरफ सात साल में भाजपा की संपत्ति 780 करोड़ से बढ़कर 4850 करोड़ हो गयी यानी साढ़े पांच सौ प्रतिशत बढ़ गई और हम दो, हमारे दो की संपत्ति हर रोज एक हजार करोड़ बढ़ रही है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ''मैं किसान हूं और इस देश के 62 करोड़ किसान की पीड़ा मेरे मन को कचोटती है, यह पहली सरकार है जिसने खाद, कीटनाशक दवाइयों पर कर लगाया है। ट्रैक्टर और खेती के उपकरणों पर भी कर लगा दिया है।'' उन्होंने दावा किया कि नरेंद्र मोदी और अजय सिंह बिष्ट (योगी आदित्यनाथ का संत होने से पहले का नाम) ने साढ़े 17 लाख करोड़ रुपये किसान की जेब से निकाला है। सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि मोदी जी अलग और अजय सिंह बिष्ट जनता की अलग जेब काटते हैं और दोनों जेब काटते हैं। एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि महंगाई मुद्दा है लेकिन कई बार राजनेताओं के शोरगुल में यह दिखता नहीं है। उन्होंने कहा कि इस चुनाव में कांग्रेस की लड़ाई महंगाई और बेरोजगारी से है और पहली लड़ाई उनसे है जो मठाधीश दिल्ली और लखनऊ दोनों में सात साल से और एक पांच साल से लोगों की जिंदगियां लूट रहे हैं, पहली लड़ाई उनसे हैं। चुनाव में सत्तारूढ़ दल के प्रचार प्रसार पर कटाक्ष करते हुए सुरजेवाला ने कहा, ''चुनाव में श्मशान, कब्रिस्तान, तमंचा और दो लड़के, एक दूसरे के लिए गाली गलौज और हर बार की तरह फिर विभाजन की कोशिश सब चीजें उप्र के चुनाव में चल रही हैं सिवाय उनके जिनका उप्र और देश की जिंदगी पर असर पड़ता है-महंगाई और बेरोजगारी।