
नई दिल्ली । भारत की आबादी में महिलाओं और बच्चों की संख्या 67.7 प्रतिशत है। उनके सशक्तिकरण को तथा सुरक्षित और संरक्षित माहौल में उनके सकारात्मक विकास को सुनिश्चित करना जरूरी है। इस कदम से देश का सतत और समतावादी विकास होगा। उल्लेखनीय है कि आर्थिक परिवर्तन और सामाजिक बदलाव को हासिल करने के लिये इसकी बहुत जरूरत है। महिला और बाल विकास मंत्रालय यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहा है कि बच्चों का अच्छा पोषण हो, वे खुशहाल हों तथा महिलायें आत्मविश्वास से परिपूर्ण हों और आत्मनिर्भर बनें। इसके लिये उन्हें ऐसा माहौल प्रदान किया जाना है, जो उनकी पहुंच में हो, भरोसेमंद हो, आसान हो तथा हर तरह के भेदभाव और हिंसा से मुक्त हो।
मंत्रालय का प्रमुख उद्देश्य है महिलाओं और बच्चों के लिये राज्यों द्वारा किये जाने वाले कामों में जो खामियां रह गई हैं, उन्हें समाप्त किया जाये। साथ ही इस दिशा में अंतर-मंत्रालयी और अंतर-क्षेत्रीय तालमेल को प्रोत्साहित करने का भी लक्ष्य है, ताकि लैंगिक समानता तथा बच्चों को ध्यान में रखकर कानून, नीतियां और कार्यक्रम बनाये जा सकें। उपरोक्त लक्ष्य को हासिल करने के लिये मंत्रिमंडल ने हाल ही में मंत्रालय की तीन महत्त्वपूर्ण कवच योजनाओं को मिशन मोड में क्रियान्वित करने को मंजूरी दी है। ये योजनायें हैं – मिशन पोषण 2.0, मिशन शक्ति और मिशन वात्सल्य। मिशन पोषण 2.0 एक एकीकृत पोषण समर्थन कार्यक्रम है। यह बच्चों, किशोरियों, गर्भवती महिलाओं और दुग्धपान कराने वाली माताओं में कुपोषण की चुनौतियों का समाधान करता है। इसके लिये पोषण तत्त्वों और उनकी आपूर्ति की एक रणनीतिक पहल की जाती है। इसके अलावा इस उद्देश्य की पूर्ति के लिये एक ईको-प्रणाली बनाई जाती है, ताकि ऐसे तौर-तरीकों को विकसित और प्रोत्साहित किया जा सके, जो स्वास्थ्य, आरोग्य और रोग-प्रतिरोधक क्षमता का पोषण करें। पोषण 2.0 पूरक पोषण कार्यक्रम के तहत खाद्य-पदार्थों की गुणवत्ता तथा उनकी आपूर्ति को बेहतर बनाया जाता है।