
नई दिल्ली । केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग, वस्त्र, उपभोक्ता मामले और सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल ने डिजाइनरों के साथ आयोजित बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में भारत को विश्व की फैशन राजधानी बनाने तथा देश के कारीगरों और बुनकरों को सशक्त बनाने के बारे में मंथन किया गया। ये कारीगर और बुनकर हमारी संस्कृति और शिल्प विरासत के सच्चे ध्वजवाहक हैं। इस अवसर पर वस्त्र मंत्रालय में सचिव यू.पी.सिंह और निफ्ट के महानिदेशक शांतमनु भी उपस्थित थे। इस बैठक में भारत के हथकरघा और हस्तशिल्प क्षेत्रों में महत्वपूर्ण अनुभव रखने वाले निफ्ट के 27 प्रतिभाशाली पूर्व छात्र भी शामिल हुए। इस मंच में उन कुछ वरिष्ठतम डिजाइनरों ने भाग लिया जिनका भारतीय शिल्प क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान रहा है। इस बैठक का उद्देश्य डिजाइनर और शिल्पकारों के सहयोग के साथ-साथ इस बारे में विचार करना था कि किस प्रकार प्रौद्योगिकी और विपणन रणनीतियों के उपाय से शिल्प की गुणवत्ता में वृद्धि हो सकती है। शिल्प और शिल्पकारों की सुरक्षा और शिल्प की जीविका के बारे में डिजाइनरों ने अपने विचार रखे। प्रेम जनित श्रम होने के कारण शिल्प को विलासिता का दर्जा दिया जाना चाहिए। गोयल ने डिजाइनरों द्वारा रखे गए दृष्टिकोण के साथ-साथ भारतीय शिल्प के लिए उनके जुनून की प्रशंसा की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि किसी राष्ट्र की कला, शिल्प, संस्कृति, परंपरा और विरासत का सम्मान किया जाना चाहिए। उन्होंने डिजाइनरों को आश्वासन दिया कि उनके द्वारा उठाए गए या चर्चा किए गए सभी बिंदुओं को ठीक तरह के नोट कर लिया गया है और उन पर आगे कार्रवाई करते समय ध्यान दिया जाएगा। सप्ताह में एक दिन खादी/हथकरघा वस्त्र पहनने का विचार और डिजाइनरों की राष्ट्र पर गर्व करने की भावना की भी सराहना की गई। उन्होंने कहा कि यह दृष्टिकोण बहुत सारी संभावनाओं को खोलता है कि डिजाइनरों को बड़ी भूमिका निभानी है।