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विश्व रेडियो दिवस 2022 थीम और महत्व  (१३ फरवरी )

विश्व रेडियो दिवस 2022 थीम और महत्व  (१३ फरवरी )

कम्युनिकेशन यानि संवाद का हमारे समाज और देश के विकास के लिए उतना ही महत्त्व है जितना पेड़ पौधों के लिए खाद और पानी का| संवाद के बिना हम व्यक्ति, समाज और देश के आगे बढ़ने की कल्पना भी नहीं कर सकते| संवाद का एक ऐसा सशक्त माध्यम है रेडियो, जिसकी देश और दुनिया को एक दूसरे से जोड़ने में अहम् भूमिका रही है| संवाद के दूसरे साधन जहाँ नहीं पहुँच पाते, वहां भी अपने शुरूआती समय से ही रेडियो दुनिया को सन्देश पहुंचाने का काम करता रहा है| रेडियो के योगदान और इसकी भूमिका को याद करने के लिए एक दिन विश्व रेडियो दिवस के रूप में मनाया जाता है|
     रेडियो दिवस प्रति वर्ष 13 फरवरी को मनाया जाता है| रोजमर्रा की जिंदगी में संचार के इस शक्तिशाली माध्यम रेडियो के योगदान को याद करने के लिए विश्व रेडियो दिवस मनाते हैं|
     विश्व रेडियो दिवस का इतिहास
     वर्ष 2010 में स्पैनिश रेडियो अकादमी की पहल के बाद विश्व रेडियो दिवस मनाने की चर्चा शुरू हुई| सयुंक्त राष्ट्र ने सदस्य देशों को रेडियो को समर्पित इस दिन पर विचार करने को कहा| इसके बाद यूनेस्को ने पेरिस में आयोजित 36वें सम्मेलन के दौरान 03 नवंबर 2011 को इस दिन को स्वीकार कर लिया और विश्व रेडियो दिवस मनाने के लिए 13 फरवरी का दिन तय किया गया| 13 फरवरी को ही वर्ष 1946 में सयुंक्त राष्ट्र का यूएनओ रेडियो स्टेशन स्थापित हुआ था| 13 फरवरी 2012 को पुरे विश्व में उत्साह, उमंग और जोश के साथ पहला विश्व रेडियो दिवस मनाया गया|      
    रेडियो का अविष्कार
    रेडियो तरंगों को पहली बार 1886 में जर्मन भौतिक विज्ञानी हेनरिक हर्ट्ज द्वारा पहचाना और अध्ययन किया गया था| पहला व्यावहारिक रेडियो ट्रांसमीटर और रिसीवर 1895-1896 के आसपास इटली के गुग्लिल्मो मार्कोनी द्वारा विकसित किए गए थे, और रेडियो का उपयोग 1900 के आसपास व्यावसायिक रूप से किया जाने लगा|  
     उपयोगकर्ताओं के बीच हस्तक्षेप को रोकने के लिए, रेडियो तरंगों के उत्सर्जन को कानून द्वारा विनियमित किया जाता है, जिसे अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (आईटीयू) नामक एक अंतरराष्ट्रीय बॉडी द्वारा कोआर्डिनेट किया जाता है, जो विभिन्न उपयोगों के लिए रेडियो स्पेक्ट्रम में फ्रीक्वेंसी बैंड आवंटित करता है|
    विश्व रेडियो दिवस 2022 थीम
   हर साल को एक अलग ख़ास थीम पर विश्व रेडियो दिवस मनाया जाता है| विश्व के सभी देशों के रेडियो प्रसार को और श्रोताओं को एक मंच पर लाने के मकसद से शुरू की गई यह पहल अपने उद्देश्यों में सफल होती दिख रही है|
     इस साल 2022 में विश्व रेडियो दिवस की थीम है "रेडियो एंड ट्रस्ट"
   विभिन्न अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टों के अनुसार, रेडियो दुनिया में सबसे विश्वसनीय और उपयोग किए जाने वाले मीडिया में से एक बना हुआ है|
    भारत में रेडियो का विस्तार
    रेडियो प्रसारण की लोकप्रियता और विश्वसनीयता भारत के जन-जन में है| भारत में रेडियो प्रसारण की शुरुआत मुंबई और कोलकाता में साल 1927 में दो निजी ट्रांसमीटरों के जरिये हुई| 1936 में इम्पीरियल रेडियो ऑफ़ इंडिया की शुरुआत हुई जो आजादी के बाद ऑल इंडिया रेडियो के नाम से मशहूर हुआ| 1957 में ऑल इंडिया रेडियो का नाम बदलकर आकाशवाणी कर दिया गया|
     02 अक्टूबर 1957 को स्थापित हुए विविध भारती ने 1967 से व्यावसायिक रेडियो प्रसारण शुरू कर नए युग में प्रवेश किया| आज भी रेडियो के कार्यक्रम देश को एकता के सूत्र में बाँधने का कार्य कर रहे हैं|
         आजादी के समय भारत में केवल 06 रेडियो स्टेशन थे, जिनके कार्यक्रमों की पहुँच सिर्फ 11 प्रतिशत आबादी तक ही थी| लेकिन आज आकाशवाणी की पहुँच देश के 92 प्रतिशत भौगौलिक क्षेत्र में फैले 99.2 प्रतिशत आबादी तक है| इसके साथ कई प्राइवेट एफ.एम रेडियो स्थानीय भाषा में संवाद कर रहे हैं और स्थानीय सामग्री को आगे बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं|
     70 के दशक में टेलीविज़न के आने से लगा कि रेडियो की चमक धूमिल पड़ने लगेगी लेकिन ऐसा कुछ नहीं  हुआ| रेडियो का श्रोता वर्ग उससे दूर नहीं हुआ बल्कि नए लोग इससे जुड़ते रहे| आज के डिजिटल रेडियो के जमाने में श्रोता अपने मोबाइल पर रेडियो लेकर चलते हैं| इसीलिए प्रधानमंत्री ने जब लोगों से सीधा संवाद करने की सोची तो मन की बात कार्यक्रम के लिए उन्होनें अपना माध्यम रेडियो को ही चुना|  
                बचपन में  रेडियो की अपनी दुनिया  होती थी जो आज भी हैं .रेडियो के समाचार में जो विवरण सुनने मिलता हैं वह कहीं नहीं हैं .
                  आज भी रेडियो अपनी प्रासंगिता बनाये हुए हैं .  
 (लेखक- विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन )
 

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